ऐसे फंसे अरविंद केजरीवाल ...... एक बोतल पर एक फ्री

ऐसे फंसे अरविंद केजरीवाल ...... एक बोतल पर एक फ्री

खबर विशेष 

उमड़ पड़े थे लोग, खूब बिकी शराब... फिर सबकुछ हो गया खराब!

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दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति लागू होते ही शराब और बीयर पर ऑफर की झड़ी लग गई थी. नई आबकारी पॉलिसी के चलते दिल्ली में कई शराब के स्टोर्स पर एक बोतल की खरीद पर दूसरी मुफ्त में मिल रही थी.

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नई दिल्ली

सरकार के लिए शराब रेवेन्यू का एक बड़ा जरिया है. शराब पर टैक्स बढ़े या घटे पीने वालों पर इसका फर्क नहीं पड़ता है. इसलिए राज्य सरकारें भी अपने हिसाब से शराब पर टैक्स वसूलती हैं. दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी रेवेन्यू बढ़ाने के लिए नई आबकारी नीति लेकर आई थी, इससे सरकारी खजाना बढ़ने का दावा किया गया था. लेकिन नई आबकारी नीति दिल्ली सरकार के लिए गले की फांस बन गई. 

दरअसल, दिल्‍ली सरकार की नई आबकारी नीति की वजह से आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेता जेल पहुंच चुके हैं. सबसे पहले इस मामले में बड़ी गिरफ्तारी मनीष सिसोदिया की हुई, क्योंकि वो आबकारी मंत्री भी थे, उसके बाद आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह जेल पहुंच गए. इनपर आरोप है कि शराब घोटाले में ये एक अहम कड़ी हैं.

लेकिन अब इस मामले में आप के सबसे बड़े नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार हो चुके हैं. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सबसे बड़े सरगना हैं, ईडी ने उन्हें साजिशकर्ता बताया है. कथित दिल्ली शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को भी गिरफ्तार किया है. ईडी के मुताबिक के. कविता ने नई शराब नीति को तैयार करते समय कथित तौर पर केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के साथ साजिश रची थी.   

नई आबकारी नीति के बारे में......

अब सबसे पहले ये जानते हैं कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति क्या थी? दरअसल, यह वह पॉलिसी थी, जिसके लागू होते ही दिल्ली में शराब और बीयर पर ऑफर की झड़ी लग गई. नई आबकारी पॉलिसी के चलते दिल्ली में कई शराब के स्टोर्स पर एक बोतल की खरीद पर दूसरी मुफ्त में मिल रही थी. कुछ जगहों पर तो एक पेटी खरीदने पर दूसरी पेटी फ्री मिल रही थी. इस ऑफर की वजह से दिल्ली में शराब की दुकानों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग गईं. शराब की दुकानों पर इतनी भीड़ बढ़ गई कि कई जगहों पर पुलिस की मदद लेनी पड़ी. लेकिन उसके बावजूद भी एक बोतल की खरीद पर दूसरी बोतल मुफ्त मिलती रही.

 

बता दें, दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू हुई थी. जिसके बाद शराब बिक्री के नियम बदल गए. दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी के तहत शराब स्टोर्स को अधिकार था कि ग्राहकों को लुभाने के लिए वे गिफ्ट और डिस्काउंट्स दे सकते हैं. जबकि इससे पहले की आबकारी नीति के तहत शराब के दाम सरकार तय करती थी, जिस कारण दुकानदार इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकते थे और एक बोतल के साथ दूसरी फ्री जैसी कोई स्कीम नहीं थी. हालांकि उस समय आधिकारिक तौर पर आबकारी अधिकारियों का कहना था कि दिल्ली में शराब पर सिर्फ 25 फीसदी ही छूट है, जबकि एक के साथ एक फ्री, यानी 50 फीसदी तक की छूट मिल रही थी.

दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत वर्ष 2021-22 में राजधानी दिल्ली में शराब बिक्री का काम पूरी तरह निजी हाथों में दे दिया था. इसके लिए उसने शराब की खुदरा विक्रेता कंपनियों से शराब की बिक्री से पूर्व ही कथित लाइसेंस शुल्क के रूप में करीब 300 करोड़ रुपये ले लिए थे. इसके साथ ही विक्रेताओं को यह अनुमति दे दी गई थी कि वे एमआरपी से नीचे किसी भी दाम पर शराब बेच सकते हैं. यहीं से शराब में छूट देने का खेल शुरू हो गया. हर ठेकेदार ज्यादा शराब बेचने के लिए छूट-पर-छूट देने लगे, और लोग जमकर खरीद भी रहे थे. क्योंकि दिल्लीवाले घरों में 18 लीटर बीयर या वाइन रख सकते हैं.

दांव पड़ गया उलटा?

दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में इजाफा होगा. केजरीवाल सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3500 करोड़ रुपये का फायदा होगा. नई शराब नीति के तहत दिल्ली में 32 जोन बनाए गए थे और हर जोन में अधिकतम 27 दुकानें खुलनी थीं, इस तरह से कुल 849 दुकानें खोली जानी थीं. नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया. जबकि इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी प्राइवेट थीं. 

कुछ ऐसे फंसे आप के नेता?

हालांकि नई आबकारी नीति के विवादों में घिरते ही दिल्ली सरकार ने 1 सितंबर 2022 से पुरानी एक्साइज पॉलिसी को फिर से लागू कर दिया. क्योंकि जुलाई-2022 में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर दी, उसके बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को वापस ले लिया. जिसके तहत 500 सरकारी शराब की दुकानों पर ही शराब बेचने का फैसला लिया गया.

कैसे हुआ खुलासा?

कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. आरोप लगा कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया, जिससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला. नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान पहुंचा. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया.

एक के बाद एक आप नेता गिरफ्तार....

बता दें, ईडी और सीबीआई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं. दिसंबर-2023 में आप नेता संजय सिंह के खिलाफ दायर अपने छठे चार्जशीट में ईडी ने दावा किया था कि रिश्वत से मिले 100 करोड़ रुपये में से 45 करोड़ रुपये 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल हुआ, इस तरह से आम आदमी पार्टी भी घोटाले की लाभार्थी थी. चार्जशीट में यह भी कहा गया कि अपराध की प्रक्रिया में आम आदमी पार्टी के कुछ नेता भी व्यक्तिगत तौर पर लाभार्थी थे. ईडी की मानें तो इस खेल में मनीष सिसोदिया को 2.2 करोड़ रुपये रिश्वत मिले. संजय सिंह को 2 करोड़ और विजय नायर को 1.5 करोड़ रुपये मिले.

कौन-कौन आरोपी?

ईडी का आरोप है कि 'साउथ ग्रुप' नामक एक शराब लॉबी ने गिरफ्तार व्यवसायियों में से एक के माध्यम से आम आदमी पार्टी को रिश्वत में कम से कम 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. ये पैसे साउथ ग्रुप ने विजय नायर (आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज) को एडवांस में दिए. आरोप है कि विजय नायर आम आदमी पार्टी की तरफ से योजना और साजिश का प्रबंधन कर रहे थे, और वो अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी हैं. 

शराब कारोबारी समीर महेंद्रू के बयान के हवाले से ईडी का कहना है कि आबकारी नीति केजरीवाल के दिमाग की उपज थी. आरोप है कि विजय नायर ने फेसटाइम के जरिए केजरीवाल और महेंद्रू की बात कराई थी.एजेंसी के मुताबिक केजरीवाल ने महेंद्रू से वीडियो कॉल के जरिए बताया था कि नायर उनका आदमी है और वह उस पर भरोसा कर सकते हैं.