4जन.जन्मदिवस विशेष : विकास की गहरी तड़प और समझ रखते थे कल्पनाथ राय - मनोज सिंह

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
मऊ(उप्र.)।
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित त्याग, तपस्या और साधना की उर्वर भूमि वनअवध के महकते-चहकते आंगन में एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए विकास पुरुष कल्पनाथ ने अपने राजनीतिक सूझ-बूझ और कर्मठ्ता से अपनी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि को सजांने संवारने का अविस्मरणीय प्रयास किया। होनहार वीरवानो और फ़ौलादी इरादे से बुलंदियों का आसमान छूने वालों के समक्ष बुरी से बुरी आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियाॅ कभी बाधा नहीं बन पाती हैं। जन्मजात जिद्दी , ज़ज्बाती और जूनूनी , बेधड़क और बेलौस बोलने वाले विकास पुरुष कल्पनाथ राय की रग-रग में विकास करने का जूनून और जिद्द समाहित था। 4 जनवरी 1941 को सेमरी जमालपुर में पैदा हुए कल्पनाथ राय ने आरंभिक शिक्षा गांव पर हासिल करने के उपरांत उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए गोरखपुर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। इसी विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी और समाजशास्त्र में परास्नातक और एल एल बी किया। छात्र जीवन से ही राजनीति के माध्यम से अपनी मातृभूमि की सेवा करने की विकास पुरुष की दृढ़ इच्छाशक्ति को आर्थिक और राजनीतिक अडचने रोक नहीं पाई। किशोरावस्था से ही बेहतर समाज और बेहतर देश बनाने का सपना अनगिनत स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की मातृभूमि के सच्चे सपूत कल्पनाथ राय के मानसिक अंतरिक्ष में तैरने लगा था। सृजन,रचना, निर्माण विकास , प्रगति , तरक्की और उन्नति जैसी समानार्थक संकल्पनाओं को कल्पनाथ राय ने महज एक मेधावी विद्यार्थी की तरह किताबों में ही नहीं पढा था बल्कि इन संकल्पनाओं को एक सच्चे कर्मयोगी की तरह जमीन पर उतारने अद्भुत और अनूठा प्रयास किया। भारतीय समाज और राजनीति निश्चित रूप से जाति, धर्म, सम्प्रदाय, क्षेत्र और भाषा जैसी संकीर्णताओ के मकडजाल में बुरी तरह उलझी हुई है। इन समस्त संकीर्णताओं से ऊपर उठकर कल्पनाथ राय ने सृजन, रचना , निर्माण और विकास की राजनीति को भारतीय रांनिर्माण स्थापित करने का उत्कट और प्रयास किया। निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि- कल्पनाथ राय ने भारत की राष्ट्रीय राजनीति को सृजन , रचना, निर्माण और विकास की दृष्टि से परिभाषित और परिमार्जित करने का सकारात्मक प्रयास किया।
गोरखपुर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति के मासोध्यम से राजनीति का ककहरा सीखने वाले कल्पनाथ राय के सीने में अपनी माटी की शानदार पहचान और दुनिया में सिरमौर बनाने की गहरी तडप आजीवन बनी रही। इसके साथ आचार्य नरेन्द्र देव डॉ राम मनोहर लोहिया की समाजवादी पाठशाला में पले बढे कल्पनाथ राय के अंदर सत्ता की चौखटो से टकराने के लिए आवश्यक निर्भीकता और साहस कूट-कूट कर भरा था। समाजवादी पृष्ठभूमि होने के कारण कल्पनाथ राय अपने राजनीति के आरम्भिक दौर में सडक के संघर्ष की राजनीति की रंगो रवायत में पूरी तरह से रंगे हुए थे । युवा तुर्क चन्द्रशेखर की तरह बगावत का तेवर और सडक के संघर्ष की थाती लेकर कांग्रेस की राजनीति में कल्पनाथ राय ने प्रवेश किया था। खाँटी समाजवादी पृष्ठभूमि वाले इस बगावती तेवर के नेता ने कांग्रेस में प्रवेश करने के बाद सृजन रचना निर्माण और विकास की राजनीति को आत्मसात कर लिया। मन मस्तिष्क में सडक के संघर्ष की स्मृतियों और सीने में सडक के सवाल को लेकर सदन में फिर सदन से सत्ता की दहलीज तक पहुंचे कल्पनाथ राय ने अपनी मातृभूमि के विकास के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इतिहास साक्षी है कि-अधिकांश राजनेता सत्ता के गलियारों में पहुंचने के बाद सत्ता की चकाचौंध में बेसुध हो जाते है और राजधानी की रंगीनियों में डूब जाते हैं। इसके विपरीत देशज बोल-चाल में खर-खर स्वभाव के कल्पनाथ राय ने अपनी मातृभूमि और अपनी मातृभूमि के लोगों को अपने मानस पटल से कभी ओझल नहीं किया और सत्ता की दहलीज पर पहुंचने के बाद अपने गृह जनपद के कायाकल्प का दृढ निश्चय लिया। स्वाधीनता उपरांत सर्वाधिक उपेक्षित पूर्वांचल के सर्वाधिक पिछडे जिले मऊ के जन्मदाता कल्पनाथ राय ने मऊ जनपद के हर आंगन-चौखट की खुशहाली और हर खेत खलिहान की हरियाली के लिए जो साॅचा ढाँचा और खाॅचा बनाया और उसके लिए आखिरी सांस तक जो भागीरथी प्रयास किया वह अविस्मरणीय और अकल्पनीय है। विकास पुरुष ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति और फ़ौलादी इरादों से किसी भी झंडे की सरकार से लड झगड कर जनपद को तरक्की और उन्नति की चमकती-दमकती रोशनाई से सराबोर करने के लिए जिन परियोजनाओं को धरातलीय आकार और आयाम दिया उसके आसरे जनपद की हर आंखों ने अपने सुनहरे भविष्य के स्वप्न संजोए । विकास पुरुष ने अपनी प्रतिभा परिश्रम और पुरुषार्थ से जनपद ही नहीं पूरे पूर्वांचल में सृजन रचना निर्माण और विकास की जो दीपशिखा प्रज्ज्वलित की उससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सृजन रचना निर्माण और विकास की बयार बहने लगी। जिससे हर हृदय को अपनी हर कल्पनाओं को साकार करने का सर्वश्रेष्ठ अवसर मिला। नई पहचान के साथ पूरा जनपद गौरवान्वित और हर्षित हुआ, उम्मीदो को नए पंख लग गए और पूरा जनपद राष्ट्रीय फलक पर सृजन रचना निर्माण और विकास की प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा में सीना तान कर खडा होने लगा। किसान मजदूर मजलूम बुनकर व्यापारी और नौजवानों की आँखों में बेहतर जिन्दगीं के ख्वाब पलने लगें। वास्तविक विकास के लिए आधारभूत संरचनाओं का जाल बिछाना आवश्यक होता हैं। छात्र जीवन से ही संघर्षशील होने के साथ-साथ उच्चकोटि के शिक्षर्थी होने के कारण कल्पनाथ राय के अंदर यह दूरदर्शिता दूर दृष्टि और समझदारी भलीभाँति विकसित हो चुकी थी। अपनी इसी दूरदर्शिता दूर दृष्टि और समझदारी का परिचय देते हुए कल्पनाथ राय ने सडक परिवहन उर्जा और संचार जैसी आधारभूत संरचनाओं को जनपद में स्थापित करने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया। देश के दूर-दराज क्षेत्रों से जनपद का बेहतर सम्पर्क स्थापित करने के लिए मेट्रोपोलिटन शहरों के प्रारूप का रेलवे जंक्शन का निर्माण कराया तथा मुम्बई कोलकाता चेन्नई दिल्ली इत्यादि शहरों के लिए जाने वाली प्रमुख रेलगाड़ियों का मऊ जंक्शन से गुजरना सुनिश्चित कराया। यातायात सम्बन्धी असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शहर के चारों तरफ़ ओवरब्रिज का निर्माण , जगह जगह दर्जनों विद्युत उपकेन्द्रो का निर्माण, किसानों की आमदनी को बढाने के लिए घोसी में सहकारी चीनी मिल की स्थापना ,अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से परिपूर्ण तथा शोध संस्थान सरीखा सदर अस्पताल का निर्माण, आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी पर आधारित कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कुसमौर में गन्ना और कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना, विदेशी सैलानियों के ठहरने लायक तथागत जैसे होटलों का निर्माण तथा मधुबन के शहीदों की स्मृति में शानदार शहीद पथ सहित दर्जनो शानदार सडको का निर्माण कल्पनाथ राय की विकास गाथा का जीता जागता प्रमाण है।
आज वन अवध के देपीप्यमान नक्षत्र, सृजन, रचना, निर्माण और विकास की राजनीति के शिखर और श्लाका पुरुष कल्पनाथ राय की पुण्य तिथि के अवसर पर मशहूर गीतकार असद भोपाली का लिखा गीत~ "दिल का सूना साज़ तराना ढूंढेगा । मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा ।" लगभग पूरा पूर्वांचल गुनगुना रहा है। हर व्यक्ति के हृदय से यह आवाज़ आती हैं कि-फिर से विकास पुरुष वन अवध की माटी में अवतरित हो जाते। चौबीस- पच्चीस साल में एक बच्चा पैदा हो कर जवान हो जाता और परिवार की सारी जिम्मेदारियां निभाने लगता है परन्तु विकास पुरुष के दिवंगत हुए आज पच्चीस साल गुजर गए परन्तु सम्पूर्ण जनपद आज भी अपने आप को अनाथ महसूस कर रहा है। 6 अगस्त 1999 की वह मनहूस घड़ी हर जनपद वासी के सीने में तीर के घाव की तरह चुभती है। तीन बार राज्य सभा सदस्य , चार बार घोसी लोकसभा से निर्वाचित और कांग्रेस की सरकार में कई बार मंत्री रहे श्रीमती इंदिरा गांधी के दुलरुआ जनपद के सृजनकर्ता कल्पनाथ के शानदार कार्यों को जनपद वासी कभी विस्मृत नहीं होने देंगे । ऋषियों और मनीषियों की तपोभूमि का यह अमर सपूत तथा अनमोल हीरा भारतीय राजनीतिक इतिहास के आसमान में सदियों तक ध्रुव तारा की तरह चमकता रहेगा। विकास की राजनीति में आस्था रखने वाले हृदयों को आज भी विकास पुरुष जैसे नेतृत्व के अवतरण का इंतजार है।इस गहरी तड़प के साथ विकास पुरुष के जन्मदिवस पर सम्पूर्ण जनमानस को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
लेखक--
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
लेखक/साहित्यकार/ उप सम्पादक कर्मश्री मासिक पत्रिका।