पर्यावरण संरक्षण का उतना ही महत्व जितना कि हमारे स्वयं के जीवन का --नजमुस्साकिब अब्बासी

पर्यावरण संरक्षण का उतना ही महत्व जितना कि हमारे स्वयं के जीवन का --नजमुस्साकिब अब्बासी

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय 

विश्व पर्यावरण दिवस:पर्यावरण संरक्षण और हमारी ज़िम्मेदारी 

  हमेशा से माना गया है कि पेड़-पौधे,पशु-पक्षी,हवा,पानी अर्थात संपूर्ण प्रकृति चाहे वह जड़ हो या चेतन,हम मानव का पर्यावरण से गहरा नाता रहा है या हम सीधे  मुंह यह कह सकते हैं कि प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक रहे हैं।हम महानगरों में देखते हैं कि आधुनिक जीवन की भाग_दौड़ ने लोगों के पास हंसने_मुस्कुराने का भी समय छीन लिया है,उसका कारण केवल यही है कि हमने प्रकृति के ढेर सारी बदतमीजियां की हैं।हम पहाड़ों में बड़े शौक़ से घूमने जाते हैं,पहाड़ों में हमको कल_कल करती नदी_नाले,बर्फ से लिपटी हुई पहाड़ियां,परिंदों की चहचाहट और सबसे बड़ी बात शुद्ध वातावरण मिलता है जिसे देखकर हमारा दिल खुशी से झूम उठता है और हमारे अंदर नया जोश उमड़ पड़ता है।वहां हमें बनावटी मुस्कुराहट लाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि वहां का वातावरण शुद्ध है और वहां पर्यावरण को संरक्षण प्राप्त है।
       दरअसल हमारे जीवन में पर्यावरण संरक्षण का उतना ही महत्व है जितना कि हमारे  स्वयं के जीवन का। इसलिए हमारे दिल से आवाज आनी चाहिए कि हमें पर्यावरण को बचाना है ताकि आने वाली पीढ़ी की रक्षा की जा सके। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हम उन्हें विरासत में एक स्वच्छ वातावरण दें ।हम सभी जानते हैं कि विकास की अंधी दौड़ ने पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया है विशेष रूप से यांत्रिक और तकनीकी विकास ने पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंचाई है। हमने अपने स्वार्थ हेतु निरंतर पर्यावरण का आवश्यकता से अधिक दोहन किया है।यदि हम समय रहते नहीं चेते और यूं ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहे तो एक दिन पर्यावरण पूरी तरह नष्ट हो जाएगा और वह दिन हमारे लिए विनाश का दिन होगा,क्योंकि इंसानों का वजूद पर्यावरण के अस्तित्व पर ही टिका है।
   पर्यावरण संरक्षण का अर्थ अपने आसपास के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और उन्हें बनाए रखना है।इसमें जल,वायु,वन और जैव विविधता आदि की रक्षा शामिल है।इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखना और मानव जीवन के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है।यह केवल प्रकृति की रक्षा का नहीं बल्कि हमारे अपने अस्तित्व की सुरक्षा का भी मामला है। जब हम पर्यावरण को संरक्षित करने का प्रयास करते हैं तो दरअसल हम अपनी जीवन शैली को सुधारने और अपनी भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे होते हैं।
     इसपर जागरूकता  पैदा करने की जरूरत है कि पर्यावरण संरक्षण से हमारी स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।साफ़_सुथरे वातावरण में रहने से बीमारियों का खतरा कम होता है और हम अधिक सेहतमंद रहते हैं। प्रदूषण के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण हमारी मानसिक स्थिति को भी बेहतर बनाता है और हमें एक सकारात्मक नज़रिए के साथ जीवन जीने में मदद करता है।


    पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें वन संरक्षण,जल संरक्षण,वायु प्रदूषण नियंत्रण पर  विशेष  ध्यान देने की जरूरत है।वन संरक्षण से वनों से हमें स्वच्छ हवा, जल और खाद्य सामग्री और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद मिलती हैं।पेड़ और वनस्पतियाँ कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करके हमारे वायुमंडल को साफ और सुरक्षित रखते हैं तथा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव करते हैं,इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए वन संरक्षण बहुत जरुरी है। 
      इसी तरह जल संरक्षण भी बहुत जरुरी है।जल संरक्षण में जल का सही उपयोग और रिसाइक्लिंग द्वारा पुनः उपयोग शामिल हैं। जल संरक्षण से हमें भविष्य में जल संकट से बचने में मदद मिलती है और जल संरक्षण से हमें कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए पर्याप्त जल मिलता है।इसी प्रकार वायु प्रदूषण नियंत्रण द्वारा हमें स्वच्छ हवा मिलती है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना,स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना और वाहन उत्सर्जन को नियंत्रित करना जरूरी है। वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपायों से हमारी श्वसन प्रणाली स्वस्थ रहती है और हमें विभिन्न बीमारियों से बचाव हासिल होता है।
     इसी  क्रम में  लोग पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से लें इसके लिए सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बनाया है।इस पर्यावरण संरक्षण अधिनियम को भारत की संसद ने 23 मई 1986 को पारित किया और यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ।इस अधिनियम में चार अध्याय और 26 धाराएं हैं। इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भारत में कानून के रूप में लागू करना है।
   इसके उद्देश्यों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करना और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है। इन कानूनों का पालन करना हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए ज़रूरी है। ये अधिनियम हमें प्रदूषण को कम करने,वन संरक्षण और जल संसाधनों की सुरक्षा में मदद करते हैं।पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए बनाया गया था।इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना और स्वच्छता सुनिश्चित करना है।इस अधिनियम के तहत सरकार को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार दिया गया है।

साभार 

नजमुस्साकिब अब्बासी नदवी