कटुआ.......

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
आप 2014 से भारत की राजनीति और सत्ता का चरित्र देखिएगा तो नरेंद्र मोदी की केंद्र की सरकार अपने शपथ ग्रहण के समय से ही जनता को मिलने वाले अधिकार को समम समय पर काटती रही है...
उसने सबसे पहले "काटने" के लिए देश के किसानों को चुना और मोदी सरकार ने 2014 में यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में संशोधन के लिए यह विधेयक प्रस्तुत किया जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, ग्रामीण आधारभूत संरचना, औद्योगिक कॉरिडोर, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु किसानों की सहमति और सामाजिक प्रभाव आकलन की आवश्यकता को हटा दिया गया।
इसका अर्थ यह हुआ कि सरकार जब चाहे बिना बताए किसानों की ज़मीन ले सकती है और किसान कुछ नहीं कर सकता।
राहुल गांधी के लगातार विरोध और आंदोलन के कारण सरकार ने इस विधेयक को वापस ले लिया...
इसके बाद 8 नवंबर 2016 को नरेंद्र मोदी सरकार ने जनता से उसके जमा धन 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर के छीन लिया...
इसके बाद नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे के तहत मुसलमानों के धार्मिक अधिकार को शरियत में दखल देकर मुसलमानों के शादी विवाह से संबंधित संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार को काट दिया....और अब विफल सिद्ध होता ट्रिपल तलाक कानून बनाया जिसके तहत हजारों हज़ार मुसलमानों को जेल में बंद कर दिया।
सरकार ने GST के द्वारा व्यापारियों के काम धंधे को काट दिया और भारी भरकम और उलझाऊ टैक्स प्रक्रिया ने लोगों के काम धंधे को छीन लिया...
इसके बाद पुलवामा हुआ और उसके बल पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीता गया... जीतते ही अमित शाह गृहमंत्री बने और इसके बाद इसमें तेज़ी आई और मुसलमानों की नागरिकता छीनने के लिए 12 दिसंबर 2019 को CAA NRC लाया गया...
इसके बाद काश्मीर के लोगों के संवैधानिक अधिकार छीनने का नंबर था और 5 अगस्त 2019 को उनकी संपत्ति के बाहरी लोगों द्वारा खरीद फरोख्त पर रोक को समाप्त कर दिया। जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इस खरीद को रोकने के लिए कानून बनाया गया।
इसी कानून से काश्मीर की पुर्ण स्वायत्तता छीन कर आधी अधूरी सरकार दे दी और पूरा प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बना दिया।
फिर मुसलमानों से कानूनी रूप से उनकी बाबरी मस्जिद छीन ली गई..इसी क्रम में SC/ST ऐक्ट दलितों से छीनते छीनते बचा और भारी विरोध के बाद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटा गया।
इसके बाद किसानों की फसलों को छीनने का खेल खेला गया और कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 लाया गया...जिसे 700 से अधिक किसानों की शहादत और महीनों के आंदोलन के बाद नरेंद्र मोदी को टेलीविजन पर सार्वजनिक रूप से माफी मांग कर वापस लिया गया....
इसके अतिरिक्त मुसलमानों से उसके घर , ज़मीन जायदाद, उनके धार्मिक स्थल छीने गए और अब लोगों के वोट देने का अधिकार छीने जा रहें हैं...
दरअसल संविधान क्या है ? संविधान सिर्फ किताब नहीं है बल्कि देश के विभिन्न समूहों के नागरिकों को मिले अधिकार का एक दस्तावेज है।
इस सरकार की यही रणनीति है, कि अचानक संविधान बदल कर जनता का विद्रोह झेलने की बजाय धीरे धीरे इसमें लोगों के मिले अधिकार को समाप्त किया जाए जिससे संविधान सिर्फ एक बे मतलब की किताब होकर रह जाए.... इसीलिए यह होता रहता है कि सेकुलर और सोशलिस्ट शब्द संविधान से हटाओ...
संविधान में सबको मिले अधिकार को यह सरकार 2024 से बस काटती रही है.. ऊपर दिए उदाहरण तो मात्र कुछ उदाहरण हैं इसके अतिरिक्त लगातार सरकार नागरिकों के मिले तमाम संवैधानिक अधिकारों को काटती जा रही है जिसका अंत मनुस्मृति लागू करना है...
1947 में हिन्दू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सावरकर, गोलवलकर, हेडगेवार, नाथूराम गोडसे का यही विचार था...उसी को लागू करने में सरकार लगी हुई है...इनका हर संविधान संशोधन किसी ना किसी तरह से जनता को मिले अधिकार को छीनने के लिए होता है...
मोहम्मद जाहिद ✍️