गाजीपुर जनपद के मालवीय कर्मवीर सत्यदेव सिंह की मनी छठवीं पुण्यतिथि

गाजीपुर जनपद के मालवीय कर्मवीर सत्यदेव सिंह की मनी छठवीं पुण्यतिथि

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "राष्ट्रीय चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रांसगिकता" का समापन

भारतीय संस्कृति के भीतर जो मूल है वह राष्ट्रीय चेतना हैः प्रो. आनंद सिंह

गाजीपुर (उप्र)।
सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेस प्रांगण में 28 दिसंबर को संस्थाओं के संस्थापक दूरदृष्टा,समाज को शिक्षा से आलोकित करने वाले कर्मवीर सत्यदेव सिंह की छठवीं पुण्यतिथि भव्यता के साथ भगवा रंग में मनाया गया। जिसके क्रम में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 27/28 दिसम्बर को किया गया था जिसका विषय था "राष्ट्रीय चिति के सृजन में लोक संस्कृति की प्रांसगिकता" जिसके समापन पर विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन यूजीसी एवं प्रदेश सरकार के शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर डीपी सिंह थे। विशिष्ट अतिथि लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति शमीम अहमद की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार रोहतास के कुलपति गोपाल नारायण सिंह थे। मंच पर भवानी नंदन यति जी महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा एवं पीठाधीश्वर हथियाराम तथा श्री योगी आनंद संस्थापक गीता गुरुकुल फाउंडेशन मिशीगन अमेरिका के सानिध्य में कार्यक्रम होता रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथिगण द्वारा माता सरस्वती, स्वामी विवेकानंद एवं भारत माता के चित्र परमाल्यार्पण एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ ही कर्मवीर सत्यदेव सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।


मंच पर ऐसे विद्वान एवं प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति और उनके मुखारविंद से अनवरत ज्ञान का प्रवाह ऐसा लग रहा था मानो अमूल्य ज्ञान और मौलिक विचारधारा का सैलाब अनवरत प्रवाहित हो रहा हो । अपने भाषण में प्रोफेसर मुकेश मिश्रा ने कहा की लोक धर्मशास्त्र या धर्म ग्रंथो को प्रमाणित करने का माध्यम है यह कार्यक्रम सनातन के नदी में स्नान करने का दुर्लभ अवसर है ।

प्रोफेसर सत्य केतु पांडे ने अभिभूत होकर कहा की सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेज का प्रबंधन ,मुख्य रूप से स्वर्गीय सत्यदेव सिंह जी की पत्नी श्रीमती सावित्री सिंह जी और उनके पुत्र प्रोफेसर आनंद सिंह और प्रोफेसर सानंद सिंह जो लोक संस्कृति को उजागर कर रहे हैं यह राष्ट्र चेतना की अहम कड़ी है और इसका जीता जागता यह कार्यक्रम उदाहरण है। न्यायमूर्ति शमीम अहमद लखनऊ खंडपीठ ने राष्ट्रचित के निर्माण में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता पर बोलते हुए अपने वक्तव्य को शेर प्रस्तुत कर प्रारंभ किया। उन्होंने कहा 'खुद को आफते जमाना से बचाए रखिए ,वक्त का सभी को किरदार बनाए रखिए ' उन्होंने आगे कहा की मां-बाप को हमेशा उच्च स्थान पर बैठाना चाहिए क्योंकि हम सब उन्हीं की संताने हैं और उन्हीं से हमारा यह सुखमय जीवन है ।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर डीप सिंह ने कहा कि कर्मवीर सत्यदेव सिंह की आत्मा बहुत खुश होगी क्योंकि उन्होंने जो शिक्षा का लव जलाया वह लव आज पूरे गाजीपुर जनपद को आलोकित कर रहा है। राष्ट्रीय चेतना सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के प्रांगण में दिखाई दे रहा है। प्रोफेसर सुरेश जैन ने कहा कि जैसे भगवान राम की तुलना भगवान राम से ही की जा सकती है उसी तरह कर्मवीर सत्यदेव सिंह की तुलना उनके कर्म और उनकी चेतना से ही की जा सकती है अन्यथा दूसरा कोई उपमा नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि संस्कार और संस्कृति बोलने से नहीं बल्कि मनन करने से आती है राम को राम बनाने वाले राम नहीं थे विश्वामित्र थे इस तरह आज के वर्तमान परिवेश में छात्र छात्रों में संस्कृत और अनुशासन का सृजन करने के लिए गुरुजनों का उत्तरदायित्व है ।गुरु शास्त्र और शस्त्र दोनों की शिक्षा देता है ।मंच पर संत समाज से एवं आध्यात्मिकता को अपने अंदर गहराई से समेटे हुए बाबा बालक नाथ ने उपदेश दिया कि हमारी संस्कृति हमें आगे ले जाती है और पाश्चात्य संस्कृति पीछे की ओर ले जाती है ।शिक्षा में रामायण और गीता का अध्याय भी पढ़ाया जाना अति आवश्यक है । तत्पश्चात जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर योगेंद्र सिंह ने भी उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय राष्ट्रचित के सृजन में लोक संस्कृति की प्रासंगिकता पर भाषण देते हुए कहा की लोक संस्कृति या लोक साहित्य राष्ट्र की चेतना में आवश्यक होनी चाहिए उन्होंने तुलसी कृत रामचरितमानस की चौपाई प्रस्तुत करते हुए कहा की धर्म न दूजा सत्य समाना ,वेद पुराण निगम सब जाना ठीक उसी प्रकार कर्मवीर सत्यदेव सिंह सत्य है प्रोफेसर आनंद सिंह और प्रोफेसर सानंद सिंह दोनों राम की भूमिका में है जो लोक संस्कृति के पक्षधर हैं और राष्ट्र चेतना में अहम भूमिका निभा रहे हैं ।

जननायक विश्वविद्यालय बलिया के उप कुलपति संजीत कुमार गुप्त ने बताया कि आज के परिवेश में संस्कृति हमारा स्वभाव ,हमारा सांस्कृतिक मूल्य ,हम भूल गए हैं इसलिए हम पीछड भी गए हैं। राष्ट्रीय चेतना शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा किया गया था जो आज हम सब मिलकर इसको धारण करने के लिए तैयार हैं। कार्यक्रम के अगली कड़ी में गाजीपुर जनपद के शहीद परिवारों को सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के मुख्य प्रबंध निदेशक डॉ आनंद सिंह तथा प्रबंध निदेशक डॉ सानंद सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। शहीदों के सम्मान में पीठाधीश्वर महाराज भवानी नंदन यति जी ने ₹100000 की सहयोग राशि भी प्रदान किया। मंच पर उपस्थित भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त जी ने शहीद परिवारों को आश्वासन दिया कि उनका जो भी कार्य होगा उसको करने के लिए वह अपनी भरपूर ताकत लगा देंगे ।

इस क्रम में वनवासी बच्चों को भी महाराज जी ने ₹50000 का सहयोग दिए साथ ही सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस की तरफ से भी उनको मंच पर वस्त्र देकर एवं पाठ्य सामग्री देकर सम्मानित किया गया। अंत में जनपद गाजीपुर एवं आसपास के गरीब बस्तियों से लोगों को आमंत्रित किया गया था जिनको मंच पर सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस प्रबंधन परिवार की तरफ से कंबल वितरित कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में दयाशंकर दयालु ने गाजीपुर जिले में एक बड़ा अस्पताल स्थापित करने का आश्वासन दिए। भाजपा सांसद नीरज शेखर ने सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेज से पारिवारिक लगाव रखते हुए उन्होंने इस सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेज की पावन धरती को नमन किया।
सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेज के मुख्य प्रबंध
निदेशक प्रोफेसर आनंद सिंह ने कहा कि राष्ट्र की मूल 'चेतना' ही है। भारतीय संस्कृति के भीतर जो मूल है वह राष्ट्रीय चेतना है। परमात्मा ही परम चेतना है जो राष्ट्र के कण-कण में विद्यमान होता है । भारत की चेतना लोक संस्कृति, लोक भाषा, लोक भोजन, संपूर्ण लोक को धारण किया हुआ है। भारत की मूल चेतना धर्म है। कार्यक्रम के मध्य में भाजपा के सांसद नीरज शेखर, बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, आयुष मंत्री दया शंकर दयालु, भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह मंच पर उपस्थित हुए।
कार्यक्रम में डा रामचंद्र दुबे एवं दिग्विजय उपाध्याय हर गतिविधियों में शामिल होकर सारी व्यवस्थाओं पर पैनी नजर बनाकर आगंतुकों का आवभगत करने में सर्वोपरि दिखें।


उक्त कार्यक्रम में संस्थान परिवार से संरक्षिका श्रीमती सावित्री देवी, डॉ सुमन सिंह, डॉ प्रीति सिंह,द्विग्विजय उपाध्याय,अमित रघुवंशी, डॉ रामचंद्र दुबे, डॉ तेजप्रताप सिंह, डॉ वीरेंद्र सिंह, प्रमोद सिंह,सुनील यादव,अजीत यादव, चंद्रसेन तिवारी, राजकुमार त्यागी,आवेश कुमार विवेक सौरभ सहित हजारों लोगों ने दूर दराज से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर जनपद के मालवीय सत्यदेव सिंह की पुण्यतिथि तिथि को अविस्मरणीय बनाया।