आज जिनका जन्मदिन है: अनवर जलालपुरी

आज जिनका जन्मदिन है: अनवर जलालपुरी

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय 

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अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई सन 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका वास्तविक नाम 'अनवर अहमद' था।

 उन्होंने 1966 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में और 1978 में अवध विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।

अनवर जलालपुरी का अहम कार्य 'गीता' को उर्दू शायरी में ढालने का है। 'गीता' के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- "आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब 'गीता' की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।" इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-

गीता श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्‌गोऽस्त्वकर्मणि।

उर्दू शायरी अनुवाद

सतो गुन सदा तेरी पहचान हो

कि रूहानियत तेरा ईमान हो

कुआं तू न बन, बल्कि सैलाब बन

जिसे लोग देखें वही ख्वाब बन

तुझे वेद की कोई हाजत न हो

 किसी को तुझ से कोई चाहत ना हो।

गीता श्लोक

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत्।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मांन सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

उर्दू शायरी अनुवाद

फराएज से इंसा हो बेजार जब

हो माहौल सारा गुनाहगार जब बुरे लोगों का बोलबाला रहे

न सच बात को कहने बाला रहे कि जब धर्म का दम भी घुटने लगे

शराफत का सरमाया लुटने लगे तो फिर जग में होना है जाहिर मुझे

जहां भर में रहना है हाजिर मुझे बुरे जो हैं उनका करूँ खात्मा

जो अच्छे हैं उनका करूँ में भला धरम का जमाने में हो जाए राज

चले नेक रास्ते पे सारा समाज इसी वास्ते जन्म लेता हूँ मैं

नया एक संदेश देता हूँ मैं

अनवर जलालपुरी का कहना था कि- "पहले 1982 में 'गीता' पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था, इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला, मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेज़ी आई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस उर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं, जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में 'गीता' का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। पाकिस्तान में 'गीता' गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।"

उनका यह भी कहना था कि- "साहित्य, दर्शन और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। 'गीता' मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है। पूरी 'गीता' पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकालीं, जो क़ुरान और हदीस की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं, मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।"

उनकी प्रकाशित रचनाएँ- उर्दु शायरी में गीता, जोश-ए-आखिरत, उर्दु शायरी में गीतांजलि, जागती आँखें, हर्फे अब्जद, 

उर्दू के प्रसिद्ध शायर अनवर जलालपुरी को पुरस्कार तथा मान-सम्मान आदि भी बहुत मिले-, इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान - 2011, गजल संग्रह पुरस्कार - 2011, उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान - 2012, साम्प्रदायिक एकता सम्मान - 2015, बिहार उर्दू अकादमी सम्मान - 2015, यश भारती - 2016

अनवर जलालपुरी की मृत्यु 2 जनवरी, 2018 को हुई।

उनकी स्मृति को नमन