आधुनिक भारत के वास्तुकार पंडित जवाहरलाल नेहरू

आधुनिक भारत के वास्तुकार पंडित जवाहरलाल नेहरू

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय 

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता के बाद के भारत के शिल्पकार हैं, कोई उन्हें गाली तो दे सकता है मगर उनकी बराबरी नहीं कर सकता। जवाहरलाल नेहरू आज के भारत की बुनियाद रखने वाले "आधुनिक भारत के वास्तुकार" हैं जिन्हें आज भी उनकी पुण्यतिथि पर गालियां दी गयीं , कोसा गया।

दरअसल यह कुनबा बस यही कर सकता है और कुछ नहीं... जवाहरलाल नेहरू की बराबरी ना कर सको तो झूठे आरोप लगाकर उन्हें छोटा कर दो‌।

मगर कर नहीं पाओगे... जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सारी संपत्ति देश के निर्माण में दान कर दी जो उस समय 192 करोड़ रूपए की थी जो आज ₹45,611.52 करोड़ होती। तब जबकि ₹60/- की पेंशन पर लोग अपना इमान बेच देते थे।

तब जबकि भारत में रोटी के लिए अन्न नहीं था उस दौर में जवाहर नेहरू ने भारत में पंचवर्षीय योजना लागू की , पंचवर्षीय योजना का यह माडल सोवियत संघ का मॉडल था।

प्रथम पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 की समयावधि तक थी और इसका लक्ष्य खाद्यान्न उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना था इसलिए पहली पंचवर्षीय योजना में मुख्य उद्देश्य कृषि, सिंचाई और बुनियादी ढांचे का विकास था। इस दौरान कई बांध और नहर परियोजनाएं शुरू की गईं।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना 1956 से 1961 के बीच थी और इसमें जवाहरलाल नेहरू ने भारी उद्योगों और औद्योगिकीकरण पर जोर दिया, जिसके तहत इस्पात संयंत्रों की स्थापना हुई। भारी उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs)‌ जवाहरलाल नेहरू की देन है।

कुछ प्रमुख PSUs में 

1- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को रक्षा और विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए स्थापित किया।

2-भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को बिजली उपकरणों के निर्माण के लिए स्थापित किया।

3-स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) को इस्पात उत्पादन के लिए स्थापित किया जिसके तहत भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर इस्पात संयंत्र बनाए गए ‌।

4-ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) को तेल और गैस की खोज और उत्पादन के लिए स्थापित किया।

5-नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) को बिजली उत्पादन के लिए स्थापित किया।

6-सिंचाई के लिए जवाहरलाल नेहरू ने बांधों को "आधुनिक भारत के मंदिर" के रूप में देखा और कई बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं जिसमें भाखड़ा नांगल बांध (1948 में शुरू, 1963 में पूर्ण) पंजाब और हरियाणा में सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए , दामोदर घाटी परियोजना (1948) , बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए तुंगभद्रा परियोजना (1953), कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सिंचाई के लिए। कोसी परियोजना (1954) बिहार में बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिए , काकरापारा परियोजना (1954) गुजरात में सिंचाई और बिजली के लिए , मयूराक्षी परियोजना (1956) पश्चिम बंगाल में सिंचाई के लिए शुरू करके पुर्ण की।

7-जवाहरलाल नेहरू ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की और पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पहला IIT खड़गपुर में 1952 में स्थापित किया, इसके बाद मद्रास, मुंबई, कानपुर और दिल्ली में IITs की स्थापना हुई।

8-मैनेजमेंट अर्थात प्रबंधन शिक्षा के लिए IIM कलकत्ता और अहमदाबाद में शुरू किया।

9-परमाणु ऊर्जा के लिए होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में 1956 में मुंबई में भारत ही नहीं बल्कि एशिया का पहला परमाणु रिएक्टर शुरू किया।

10-अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च (1962) स्थापित किया जिसने थुंबा में रॉकेट लॉन्चिंग सुविधा की नींव रखी।

11-सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952) लागू किया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और विकास हो सके।

12-1959 में पंचायती राज शुरू किया जिससे ग्रामीण शासन को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

13-शिक्षा और स्वास्थ्य नेहरू के लिए प्रमुख मुद्दे थे और उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना कराई जिसमें 1956 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) नई दिल्ली में स्थापित किया, अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की स्थापना की जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की नींव उनके नाम पर रखी गई।

14-रक्षा और सैन्य अनुसंधान के लिए जवाहरलाल नेहरू ने सैन्य आत्मनिर्भरता के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की स्थापना की जिससे सैन्य उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिला।

आज नज़र उठाकर चारों तरफ देख लीजिए, जवाहरलाल नेहरू के बनाए यही संस्थान देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाए हुए हैं।

जवाहरलाल नेहरू का कार्यकाल मात्र 17 साल का था इतने वर्षों में उन्होंने यह सब किया, तुमने 11 सालों में क्या किया? सिर्फ़ नेहरू को कोसा और गालियां दीं, भैंस छीन ले जाएंगे, बेटी छीन लेंगे, रोटी छीन लेंगे और कब्रिस्तान - श्मशान की और एक एक करके जवाहरलाल नेहरू के बनाए Psu को बेचा।

आज काश्मीर पर गालियां दे रहे हो , दरअसल हकीकत यह है कि देश की स्वतंत्रता के समय काश्मीर भारत का हिस्सा था ही नहीं। वहां के राजा हरि सिंह काश्मीर को स्विट्जरलैंड बनाने का ख़्वाब देख रहे थे और खुद को स्वतंत्र रखने का फैसला कर चुके थे।

ये तो कबीलाई लोगों को आगे करके पाकिस्तानी सेना ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया। ध्यान दीजिए कि बंटवारे के समय जब भारतीय सेना का बंटवारा हुआ था तब पाकिस्तान के पास 1.20 लाख सैनिक थे और भारत के पास 1.70 लाख जबकि भारत पाकिस्तान से कहीं अधिक विशाल था भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के पास सैनिक कम थे।

22 अक्टूबर 1947 को कबीलाई लोगों को आगे करके पाकिस्तानी सेना ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया। 24 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। जवाहरलाल नेहरू ने मदद करने की शर्त रखी कि काश्मीर का भारत में विलय करो और कुछ शर्तों के साथ महाराजा हरि सिंह 26 अक्टूबर 1947 को Instrument of Accession पर हस्ताक्षर करके काश्मीर का भारत में विलय कर लेते हैं।

सोचिए पाकिस्तान की सेना काश्मीर में घुसती जा रही थी , और मात्र दो दिन में जवाहरलाल नेहरू ने काश्मीर का भारत में विलय करवा दिया , देर करते, शर्तों में मोलभाव करते तो जो LOC कुछ और होती।

दो महीने तक काश्मीर की लड़ाई चली और फिर दिसंबर में काश्मीर में बर्फ़ पड़ी और लड़ाई रुक गई। भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने बीच-बचाव किया और जहां युद्ध रुका वहीं LOC बना दी गई।

इतना किया जवाहरलाल नेहरू ने, तुम अपना बताओ , जब भारतीय सेना 22 मिनट में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया तो ट्रंप के आगे सरेंडर क्यों किया???

साभार 

मोहम्मद जाहिद ✍️