17 साल के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में दिवाली पूजा- ज्योतिषाचार्य अवनीश चंद्रायण

रिपोर्ट- प्रेम शंकर पाण्डेय ✍️
धनतरेस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जायेगा। इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर को मनाया जाएगा। उसके अगले दिन यानी 14 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार संमुद्र मंथन के समय इस दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन बर्तन और अन्य सामान खरीदने की परंपरा है। इस दिन धनवंतरी देव के साथ मां महालक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा का प्रावधान भी है। जानकारों की माने तो मां लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है नहीं तो आपके घर में संपन्नता के स्थान पर दरिद्रता आ सकती है। जानते हैं कि धनतेरस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा घर लाते समय किन बातों का रखें ध्यान... धनतेरस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा खरीदते समय ध्यान रखें कि मां खड़ी हुई मुद्रा में न हो। इस तरह की प्रतिमा से घर में धन नहीं रुकता है। हमेशा मां लक्ष्मी की आसन पर बैठी हई प्रतिमा खरीदना शुभ रहता है। लक्ष्मी जी की ज्यादातर प्रतिमाओं में उनके हाथे से धन वर्षा होती है। लेकिन ध्यान रखें की लक्ष्मी जी के हाथ से सिक्के भूमि पर न गिर रहे हों। ऐसी प्रतिमा खरीदना चाहिए जिसमें सिक्के किसी पात्र में गिर रहे हो। इससे घर में धन-धान्य भरा रहता है। जल से उत्पत्ति होने के कारण मां लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। वे एक स्थान पर निवास नहीं करती हैं। इसलिए धनतेरस पर भूलकर भी उनकी अकेली प्रतिमा या तस्वीर न लाएं। लक्ष्मी जी की पूजा हमेशा बुद्धि के देवता गणेश और ज्ञान की देवी मां सरस्वती के साथ की जाती है। क्योंकि जिस व्यक्ति के पास केवल धन होता है,वह अपनी बुद्धि और विवेक खो देता है। जहां बुद्धि होती है, वहीं धन निवास करता है। इसलिए गणेश जी और सरस्वती जी की पूजा करना आवश्यक है।
साभार-
ज्योतिषाचार्य पंडित अवनीश चंद्रायण
पनिवासी-ग्राम+पोस्ट, पाली गाजीपुर