गणेश चतुर्थी : यह दिन है मनन मंथन का, गणेश जी को समझने समझाने का - डॉ जयप्रकाश तिवारी

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
आज गणेश चतुर्थी है, यह दिन है मनन मंथन का, गणेश जी को समझने और समझाने का, तो गणपति का निहितार्थ क्या है? इन प्रतीकों का अर्थ क्या है? आइए इसे समझने का प्रयास करते हैं।
गजानन - बड़ा सा मस्तिष्क, बुद्धि विवेक का भंडार।
सूंड - लंबी घ्राण इंद्रिय (इंद्रियों का समुचित उपयोग)
छोटी नेत्र - लक्ष्य पर केंद्रित दृष्टि, उतना ही देखो जितनी आवश्यक है। नि:सारता को न देखो, सार को देखो, तत्वदर्शी बनो।
लंबे कर्ण - सबकी शास्त्र की, लोक की, समाज की, परिवार की, मित्र की भी। किन्तु करो अपने विवेक से, माप तौल कर।
सवारी मूषक - छोटे से छोटे की भी उपेक्षा नहीं करना, अपितु उसे मित्र और सारथी बना लेना।
दंत - सदैव प्रसन्न रहना, दांत तभी दिखता है जब हम खुश होकर हंसते हैं।
जंबूफल - कंदमूल का उपयोग करके भी, मितव्ययी होकर भी संतुष्ट रहना। अर्थात तेनत्यक्तेन भुंजीथा।
लम्बोदर - किंतु आवश्यकताएं सीमित।
मोदक - मधुर खानपान और माधुर्य का ही प्रक्षेपण, वितरण। स्वयं संतुष्ट रहना, दूसरों को संतुष्ट रखना।
इन गुणों को धारण करना ही गणपति गणेश की पूजा, आराधना है।
साभार - डॉ जयप्रकाश तिवारी ✍️
बलिया/लखनऊ उप्र