शिक्षक ही समाज का शिल्पकार ‌‌‌और मार्गदर्शक_समाजसेवी‌ सूरज गुप्ता सूरज गुप्ता

शिक्षक ही समाज का शिल्पकार ‌‌‌और मार्गदर्शक_समाजसेवी‌ सूरज गुप्ता सूरज गुप्ता

रिपोर्ट_ प्रेम शंकर पाण्डेय ✍️

एक ऐसे देश में रहते हैं जहां गुरु और शिष्य का पवित्र संबंध प्राचीन काल से ही चला रहा है. यह हमारी संस्कृति का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है. सही मायने में हमारे पहले गुरु माता एवं पिता होते हैं. और हमारा घर हमारी प्रथम पाठशाला होता है . माता एवं पिता का स्थान अवश्य ही जीवन में कोई और नहीं ले सकता क्योंकि वही हमें इस नई संसार में लाते हैं परंतु जीवन में जीने का सही तरीका हमें हमारे शिक्षकों और गुरुओं के द्वारा दिखाया जाता है. और बे ही हमारे जीवन कि खाली किताब पर ज्ञान और आदर्श के सुनहरी अक्षर लिखते हैं।हम सभी प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर के समस्त भारतवासी मिलकर शिक्षक दिवस (Teachers day) के रूप में मनाते हैं और शिक्षकों और गुरुओं के प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रदर्शित करते हैं. अतः प्रश्न आता है कि शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं? तो इसका मुख्य कारण है, कि इस दिन हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी का जन्मदिन होता है. इसलिए हम इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं।उनका जन्म 5 सितंबर को हुआ था. इसलिए उनके कुछ मित्र गणों एवं विद्यार्थियों ने उनके जन्मदिन को मनाने के लिए उनसे अनुमति मांगी .इस पर उन्होंने कहा कि केवल मेरा जन्मदिन एक जश्न के रूप में ना मना कर यदि हमारे देश के समस्त शिक्षकों के सम्मान के रूप में मनाया जाए, तो उन्हें इस बात पर बहुत प्रसन्नता एवं गर्व महसूस होगा.उनके मित्रों एवं विद्यार्थियों ने ऐसा ही किया और उनका जन्मदिन समस्त शिक्षक वर्ग के लिए शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. यही मुख्य कारण है कि हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं।उनका जन्म सन 5 सितंबर 1888 तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में हुआ था .डॉ0 सर्वपल्ली राधा कृष्ण हमारे देश के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति होने के साथ-साथ एक महान दार्शनिक, शिक्षक, और भारतीय संस्कृति के विशेषज्ञ भी थे .उन्होंने बहुत से विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में बतौर प्रोफेसर एवं प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवा दी बे सन 1936 से 1952 तक ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में रहे. इसके साथ ही उन्होंने चार्ज कॉलेज मैं भी अपनी सेवा दी. शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान और दार्शनिक उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न“ द्वारा 1954 ई0 में सम्मानित किया गया. 17 अप्रैल 1975 ई0 को तमिलनाडु के चेन्नई शहर में उन्होंने अपनी देह त्याग दी. कौन-कौन देश मनाते हैं शिक्षक दिवस .….. हमारे भारत देश के अलावा भी दुनिया के बहुत से देशों में शिक्षक दिवस विभिन्न तिथियों पर मनाया जाता है. जिनमें से थाईलैंड में 16 जनवरी, चीन में 10 सितंबर, तुर्की में 24 नवंबर, मलेशिया में 16 मई और अमेरिका में मई के प्रथम सप्ताह (1 से 7 मई) को शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है. हमारी जीवन में शिक्षक का महत्व (Education Importance)..... शिक्षा का हमारे जीवन में दीपक की तरह होते हैं, जो स्वयं को जलाकर अर्थात कठिन परिश्रम कर के हमें रोशनी प्रदान करते हैं. अर्थात जीने का सही मार्ग दिखाते हैं. हमारी भारतीय संस्कृति ने ही गुरु को हमेशा से सर्वोपरि रखा है. महान संत कबीर दास जी ने भी एक दोहे में गुरु अथवा शिक्षक को हमारे जीवन में ईश्वर से भी ऊपर महत्व दिया है- गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। उपसंहार : निष्कर्ष के रूप में कह सकते हैं कि प्रारंभ में हम एक खाली किताब की तरह होते हैं. उस किताब पर ज्ञान और आदर्श के सुनहरे अक्षर गुरु के द्वारा ही लिखी जाते हैं. अतः गुरु का हमारे जीवन में स्थान सर्वोपरि है. इसलिए हमारा भी कर्तव्य हमारे शिक्षक द्वारा हमारे जीवन को सफल बनाने में किए गए परिश्रम के बदले में हम उन्हें सदैव सम्मान दे ताकि उन्हें भी हम पर गर्व महसूस हो।