नारी सशक्तीकरण के लिए संकल्पित और समाज सेवा के लिए समर्पित रहते हैं संजय राय

नारी सशक्तीकरण के लिए संकल्पित और समाज सेवा के लिए समर्पित रहते हैं संजय राय

रिपोर्ट -- सुशील पाण्डेय / प्रेम शंकर 
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ग्रामीण विकास संस्थान हथिनी से जुड़कर विगत 35 वर्षों से सामाजिक सेवा कार्यों में संलग्न

सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देकर निर्धन परिवार की आजीविका में कर रहे बढ़ोतरी

ग्रामीण समुदाय में गहरी पकड़ , कार्यों से मिली पहचान

सरायलखंसी (मऊ)। अंतर्गत गांव हथिनी निवासी एवं उप्र के विभिन्न जनपदों में महिलाओं, युवाओं,किशोर-किशोरियों और बच्चों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विगत 3 दशकों से सामाजिक कार्यों में संलग्न ग्रामीण विकास संस्थान हथिनी से जुड़कर पिछले 35 वर्षों से कार्य  करने वाले संजय राय जो अपने जीवन काल के अठखेलियों के धूप छांव को देखते हुए 52 वर्ष के बसंत को पार कर चुके हैं। निश्चित रूप से पतझड़ के साथ नवीन पत्ते भी देखें होंगे । वर्तमान समय में आज भी सामाजिक सेवा भाव का दृढ़ संकल्प लिए उक्त संस्थान के लाइवलीहुड आवर गर्ल कार्यक्रम से जुड़कर अपने अनूठे प्रयासों से आज न केवल नारी सशक्तीकरण के सशक्त हस्ताक्षर बनते जा रहे है बल्कि जागरूकता और सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए अपनी निःस्वार्थ सेवाओं से जनसेवा को नए ढंग से,अरदौना,बकुची,चोरपा कला,रजमलपुर आदि गांवों में परिभाषित कर रहें हैं। ग्रामीण जन-जीवन की समस्याओं का समाधान करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं। जागरूकता के अभाव में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की बहुत सारी जन कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं उतर पाती हैं। विधवा पेंशन योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, बाल संरक्षण योजना,जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व योजना, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास रहते हैं। संवाददाता से बातचीत में उनका कहना था कि हमारे समाज के वृद्ध बुजुर्ग हमारी संस्कृति और सभ्यता के धरोहर हैं। उनके माथे पर पडी झुर्रियों में जीवन भर अनुभव संचित रहता हैं। इसलिए हमें अपने बुजुर्गों की यथाशक्ति सेवा करनी चाहिए। इस पवित्र भावना से अनुप्राणित होकर संजय राय  अपने समाज के बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन योजना से आच्छादित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते है। समस्त वृद्धजनों तक इस योजना की पहुँच सरल करने तथा इसमें आने वाली हर अड़चन को पूरी तन्मयता से दूर करने का प्रयास करते हैं। इसी तरह विधवाओं को उपेक्षित जीवन के बजाय सम्मानजनक जीवन मिले इसके लिए राय जी  विधवा पेंशन योजना के लाभ से प्रत्येक विधवा को लाभान्वित कराने के लिए निरंतर प्रयास करते है।वही बालिकाओं की शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना एवं उच्च शिक्षा हेतु पोस्ट आफिस के माध्यम से सुकन्या समृद्धि योजना के लिए घर घर जन सम्पर्क कर जरूरी जानकारी एवं आवेदन हेतु जागरूक करते रहते हैं।


           बातचीत में उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव और पर्याप्त जागरूकता न होने के कारण बहुत सी सरकारी योजनाएं लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाती हैं। संजय राय न केवल सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करते है बल्कि वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं।अपने मधुर स्पर्श और बाल संरक्षण योजना के माध्यम से अनाथ बच्चों के जीवन मे मुस्कान लाने का अनूठा प्रयास भी बखूबी कर रहे हैं। बाल संरक्षण योजना के तहत कोरोना के कारण अनाथ हुए प्रत्येक बालक को चार हजार रुपये प्रतिमाह तथा अन्य किसी सामान्य कारण से अनाथ हुए बच्चों को प्रतिमाह 2500 रुपये प्रदान किया जाता हैं। इसी तरह स्वस्थ नारी, स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज के मूलमंत्र से अनुप्राणित होकर निर्धन परिवारों में महिलाओं को निःशुल्क सेनेटरी पैड वितरण का कार्य भी संस्थान द्वारा संचालित हमारी बेटियां हमारा गौरव कार्यक्रम से जुड़ी फेलोशिप महिला कार्यकत्रियों के माध्यम से करवातें रहते  हैं तथा सेनेटरी पैड के प्रयोग करने के लिए महिलाओं को जागरूक करते रहते हैं। सेनेटरी पैड के प्रयोग करने से महिलाओं को स्वच्छ और स्वस्थ जीवन मिलता है।

जीवीएस कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में व्याप्त कुपोषण को दूर करने के प्रयास के साथ ही साथ समाज के निर्धन परिवार के बेटियों को सरकार द्वारा शादी अनुदान की योजनाओं के लिए आवेदन करवाकर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास सराहनीय हैं। निर्धन परिवार की बेटियों के चेहरे पर मुस्कान लाना ईश्वर की आराधना के समतुल्य माना जाता हैं। आज ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाए कुपोषण और रक्त अल्पता की शिकार हैं। संजय राय अपने स्वास्थ्य जागरण,पोषण टीकाकरण की जानकारी  के माध्यम से महिलाओं / बच्चों में व्याप्त कुपोषण को दूर करने का प्रयास करते रहते है। वर्तमान समय में संस्थान के  सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं लेकिन  आज सच्ची जनसेवा का पर्याय बन चुके हैं।