महात्मा गांधी:अहिंसा का विश्वप्रसिद्ध महानतम अग्रदूत अंततः हिंसा का शिकार हो गया

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
30 जनवरी - शहादत दिवस
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अपने मन, मस्तिष्क और हृदय में प्रतिष्ठित मानवतावादी, सर्वग्राही , सर्वत्रव्यापी और सर्वत्र प्रचलित नैतिक मूल्यों, आदर्शो, मूल्यों, मान्यताओं विचारों और सिद्धांतों के लिए सतत् संघर्ष करने वाले महात्मा गांधी ने अपने समस्त सामाजिक, राजनीतिक और वैचारिक संघर्षो , आन्दोलनो और परिवर्तनों के लिए सत्याग्रह को रामबाण की तरह अचूक रणनीति के रूप में अपनाया। एक सच्चे, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ सत्याग्रही के रूप में सत्य और अहिंसा को औजार बनाकर सत्याग्रह के माध्यम से आजीवन संघर्ष करने वाले महात्मा गाँधी अंततः कायरतापूर्ण हिंसा के शिकार हो गये। सत्याग्रह ही वह अचूक रणनीति थी जिसके बल पर महात्मा ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को जनता का आंदोलन बना दिया। महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम रंगभेद नीति के विरुद्ध सत्य और अहिंसा के माध्यम से दक्षिण अफ्रीका से सत्याग्रह आरम्भ किया। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के विरुद्ध संघर्ष से लेकर भाईचारा को समर्पित नोआखाली के आंदोलन तक एवं सम्पूर्ण भारतीय स्वाधीनता आंदोलन, तथा अपने प्रत्येक मानवतावादी आन्दोलन और व्यापक सामाजिक परिवर्तनों के लिए किए गए आन्दोलनों में सत्य के साथ अहिंसा को सर्वोपरि महत्व दिया। वस्तुतः संसार के हर मनुष्य के मन, मस्तिष्क और हृदय से क्रूरता हिंसा,बर्बरता और दरिन्दगी जैसी पाशविक प्रवृत्तियों को पूरी तरह मिटाकर संसार के हर मनुष्य के मन ,मस्तिष्क और हृदय में दया, करूणा, परोपकार, समता ,ममता और सद्भावना का भाव भरने की पवित्र मंशा, संकल्पना और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सामाजिक और राजनीतिक जन-जीवन में पदार्पण करने वाले महात्मा गांधी अपनी राजनीतिक जीवन की अवसान बेला पर अंततः एक सिरफिरे, बहशी, दरिन्दे, संकीर्ण 'सतही' संकुचित एवं साम्प्रदायिक सोच के एक अतिउत्साहित, उन्मादी नाथूराम गोडसे की गोलियों के शिकार हो गये। हमारी सनातन परम्पराओ और पौराणिक मान्यताओं में किसी भी निहत्थे को छल, कपट प्रपंच और धोखे से मारना तीसरे दर्जे की कायरता, निर्लज्जता और निकृष्टता माना जाता है। सिरफिरे नाथूराम गोडसे जैसे कायरो को यह पता नहीं था कि-जो व्यक्तित्व , कृतित्व , आचरण और व्यवहार जब विचारधारा , संकल्पना, और सिद्धांत बन जाते हैं वे गोली बम बन्दूक तोप तलवार और मिसाइल से नहीं मरा करते हैं। सत्य अहिंसा दया करूणा परोपकार पर आधारित जब तक सभ्य सुसंस्कृत समरस समाज बनाने के लिए विश्व के किसी कोने में मानवतावादी आन्दोलन चलते रहेंगे तब तक उस आन्दोलन की चेतना और संकल्पना में महात्मा गाँधी जीवंत रहेंगे।
महात्मा गांधी के अनुसार पवित्र साध्यों की प्राप्ति पवित्र साधनों से ही हो सकती है। साध्य के साथ साधन की पवित्रता पर बल देने के कारण महात्मा गांधी दुनिया के अन्य संघर्ष कर्ताओं और क्रांतिकारियों से अलग नज़र आते हैं। शारीरिक , सामरिक तथा शक्ति आधारित विजय के बजाय महात्मा गांधी हृदय परिवर्तन द्वारा नैतिक और स्थाई विजय पर विश्वास करते थे।
सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित , स्थापित, संचालित समस्त धर्मो में निहित मानवतावादी मूल्यों, मान्यताओं, आदर्शों और सिद्धांतों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से हृदयंगम और आत्मसात करने वाले महात्मा गाँधी घृणा हिंसा क्रूरता दरिन्दगी ईर्ष्या द्वेष कलह कलुष जैसी दुष्प्रवृत्तियो को पशुता का द्योतक मानते थे । जबकि दया करूणा परोपकार सहानुभूति सहकार सहयोग साहचर्य सहिष्णुता और आपसदारी जैसी नैतिक प्रवृत्तियों को मनुष्यता का द्योतक मानते थे। इसलिए सम्पूर्ण वैश्विक इतिहास में महात्मा गाँधी इकलौते ऐसे लडाके थे जो अपने देश की स्वाधीनता के साथ-साथ वैश्विक स्तर मानवतावादी मूल्यों की रक्षा के लिए भी संघर्ष कर रहे थे। विगत दो शताब्दियो में मानवता के लिए संघर्ष करने वाले वैश्विक महायोद्धाओ और महापुरुषों में अग्रपांक्तेय महात्मा गांधी के निधन से पुरी दुनिया शोकलहर में डूब गयी। उनके निधन पर दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि- महात्मा गांधी जिस अहिंसा की राजनीति के लिए आजीवन कृतसंकल्पित रहे उसी अहिंसा की राजनीति के शिकार हो गये। उस दौर के गहमा-गहमी और दंगा-फसाद से भरे माहौल और हिंसा -प्रतिहिंसा के वातावरण में भी महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सुरक्षा लेने से मना कर दिया था। क्योंकि किसी भी प्रकार के बलप्रयोग को वह अनैतिक और पशुता का परिचायक मानते थे। तर्क बुद्धि विवेक और प्रज्ञा के आधार पर ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कार और आविष्कार करने वाले सर आइजक न्यूटन और जेम्स मैक्सवेल की तस्वीर अपने पोर्ट्रेट में रखने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों से इस कदर प्रभावित थे कि- महात्मा गाँधी के 75वें जन्म दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा था कि- "आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगीं कि- हाड मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति इस धरती पर चलता-फिरता था"। अल्बर्ट आइंस्टीन महात्मा गांधी के महान मानवतावादी मूल्यों और सिद्धांतों और अहिंसा के आधार पर मानव मुक्ति के लिए उनके संघर्ष के तौर-तरीकों से गहरे रूप से प्रभावित थे। इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने सर आइजक न्यूटन और जेम्स मैक्सवेल की तस्वीर की जगह "अल्बर्ट श्वाइटजर और महात्मा गांधी " की तस्वीर अपने पोर्ट्रेट में लगा दी। उन्नीसवीं शताब्दी में होने वाले दो विश्व युद्धों की तबाहियों और बर्बादियों के वीभत्स दृष्यों ने भी अल्बर्ट आइंस्टीन के हृदय में महात्मा गाँधी व्यक्तित्व में आकर्षण पैदा किया था। आज जब राजनीति में लोगों की निष्ठा हासिल करने के लिए नेताओ द्वारा छल कपट प्रपंच, तरह-तरह के प्रलोभन ,नाना प्रकार की चतुराईयाॅ और भावनात्मक धोखाधड़ी का खेल खेला जा रहा है तब ऐसे समय में महात्मा गांधी के ऊपर अल्बर्ट आइंस्टीन का यह विचार अत्यंत प्रासंगिक हो जाता है कि लोगों की निष्ठा राजनीति धोखेबाजी के धूर्ततापूर्ण खेल से नहीं जीती जा सकती बल्कि वह नैतिक रूप से उत्कृष्ट जीवन का जीवंत उदाहरण बन कर भी हासिल की जा सकती है। वस्तुतः छल कपट प्रपंच और धूर्तताओ से परिपूर्ण राजनीति में भी महात्मा गाँधी ने नैतिकता और सचरित्रता की वकालत किया और इसीलिए महात्मा गाँधी सम्पूर्ण वैश्विक राजनीति में इकलौते ऐसे राजनेता थे जो एक साथ भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महायोद्धा महानायक और महात्मा थे। उस दौर में दुनिया की सबसे ताकतवर हूकूमत ब्रिट्रिश सरकार से महात्मा बन कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम का रण जीतने वाले वैश्विक मानवता के आधुनिक अग्रदूत महात्मा गाँधी को उनकी शहादत दिवस पर सत्य , अहिंसा, करूणा, दया, परोपकार और अन्य मानवतावादी मूल्यों में आस्था तथा निष्ठा रखने वाला हर हृदय स्मरण कर रहा हैं।
सामाजिक कुरीतियों, कुप्रथाओं और शासन प्रशासन द्वारा अधिरोपित कुरीतियों के विरुद्ध महात्मा गांधी द्वारा अपनाई गई संघर्ष की रणनीति सत्याग्रह को सबसे कारगर औजार माना जाता है। विश्व स्तर पर दूसरे गाँधी के नाम से मशहूर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉ नेल्सन मंडेला के महात्मा गांधी द्वारा आविष्कृत सत्याग्रह के माध्यम से ही दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया और दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र बहाल करने में सफल रहे। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग साठ के दशक में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने महात्मा गांधी के विचारों और संघर्ष की रणनीति से प्रभावित होकर अश्वेत समुदाय के लिए नागरिक अधिकारों का आंदोलन चलाया।
मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
लेखक / साहित्यकार /उप-सम्पादक कर्मश्री मासिक पत्रिका
निवास .... घोसी जनपद मऊ यूपी