महिलाओ को तर्पण या दाह संस्कार करने का अधिकार क्यों नही??

रिपोर्ट- डॉ.अंशुल उपाध्याय ✍️
तर्पण करना या दाह संस्कार करने का अधिकार महिलाओं को नही दिया गया है। क्योंकि,इन कार्यो को करने में विलंब नही किया जा सकता। न ही इस कार्य को छोड़ सकते है। न टाल सकते है। महिलाएँ पूरे माह शुद्ध नही रहती है। अतः जिस वक्त महिलाएं अशुद्ध रहती है। उस समय उनका शरीर रक्त प्रवाह के कारण अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक कमजोर और सेंसटिव हो जाता है। उस समय उन्हें शमशान जाने से, और तर्पण करने से बचना चाहिये। क्योंकि,मरने वाला व्यक्ति किस बीमारी से मरा ?? आपको उसके मृत शरीर के कौन से बैटीरिया कितना नुकसान पहुचाएंगे आप नही जानती। फिर यदि आप कहे कि,जब आप स्वच्छ है। तब क्या आप ये काम कर सकती है? तब जबाब है नही। तब भी नही। क्योंकि,कब आप स्वच्छ रहेंगी कब नही इस आधार पर एक सामाजिक नियम जो सबके लिए समान हो उसे नही बनाया जा सकता। अन्य व्रत उपवास की तरह आप इस कार्य का त्याग नही कर सकती।क्योंकि, जाने वाले का संस्कार उसी समय करना आवश्यक होता है। और तर्पण भी नियमानुसार पित्र पक्ष में जिस तिथि से करते है। तभी किया जायेगा यह विधान है। इनकी तारीख़ में हम बदलाव नही कर सकतें। ना ही इन कार्यो को अशुद्धि के कारण त्यागा जा सकता है। इसलिये महिलाओं को ये अधिकार नही दिए गए बाक़ी औऱ कोई बात नही है। पुरुष महिला का इसमें कोई भेद नही है। ये बात मन से निकाल दीजिये। सनातन धर्म में हर विधान के साइंटिफिक कारण है। हमारे पूर्वजो ने कोई भी संस्कार या जन्म और मृत्यु और मृत्यु के बाद के नियम भी यूही नही बनाये। आप भी हर संस्कार के पीछे के कारण को पहले खोजिए। उसके बाद आपको यदि वह उचित न लगे तब उसका त्याग करें। बिना जाने समझें अपनी सांस्कृतिक परम्परायो और रीति रिवाजों को ग़लत ठहराना या ढकोसला कहना हिंदू सनातनी महिलाओं/लड़कियों को शोभा नही देता। महावारी के वक़्त दाह संस्कार करने से खतरा आपके शरीर को होगा। इस वक़्त यदि उचित साफ सफाई न रखी जा रही हो तो ऐसे में भोजन बनाने से वह भोजन आपके परिवार के लिये नुकसानदायक साबित होगा। और ऐसे समय आप अधिक काम करेंगी तब भी नुकसान आपके ही शरीर को होगा। सो,बहुत विपत्ति न आई हो तो इस समय हर काम से 3 दिन की छुट्टी ले लेना ही उचित है। यहाँ हमने अपनी बात कही है। आगे आपकी परिस्तिथि अनुसार आप निर्णय ले सकती है। हाँ कन्याओं को (10 वर्ष से कम) और वृद्ध (60 वर्ष से अधिक) महिलाओं और रोगियों को हर तरह के बंधन पूजा पाठ,व्रत उपवास नियम धर्म सभी से छूट दी गई हैं।