कलियुग में एक ही शरीर के अंदर राक्षस व मनुष्य का निवास स्थल --साध्वी अन्नपूर्णा वर्षानागर

कलियुग में एक ही शरीर के अंदर राक्षस व मनुष्य का निवास स्थल --साध्वी अन्नपूर्णा वर्षानागर

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय 

श्रीरामलीला मैदान कासिमाबाद में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा की अमृत वर्षा 12 नवम्बर -20 नव. तक 

कासिमाबाद (गाजीपुर)। संगीतमय श्रीराम कथा की अमृत वर्षा 12नवंम्बर 2024 से 20 नवंबर  के प्रथम दिन मंगलवार को श्रीरामलीला में  कथावाचक महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 साध्वी अन्नपूर्णा वर्षा नागर ने श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराया। प्रसंग सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। माहौल भक्तिमय से रम गया।


कथावाचक ने कहा  कि पृथ्वी पर जब-जब असुरों का अत्याचार बढ़ा, तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर असुरों का संहार किया। पृथ्वी पर जब धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है,धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़ता है। भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की और लोगों का कल्याण किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने कभी प्रोटोकॉल नहीं अपनाया लेकिन आज के समय में रामकथा कहने वाले बिना प्रोटोकॉल के नहीं चलते। कहा सतयुग में राक्षस और मनुष्य के लिए अलग-अलग लोक था। त्रेता में दोनों एक ही लोग में रहने लगे, द्वापर में दोनों एक ही परिवार में रहने लगे और कलयुग में एक ही शरीर के अंदर राक्षस व मनुष्य का निवास है।

इस अवसर पर योगाचार्य स्वामी पद्मनाभानंद महराज, यजमान दीनबंधु गुप्ता, जितेंद्र वर्मा, समाजसेवी शिक्षक विनोद बरनवाल,दयाशंकर यादव, मनोज जायसवाल, अरविंद सिंह, राणा प्रताप सिंह, मनीष पाठक, मनोज लाल श्रीवास्तव, संतोष खरवार, बृजभूषण सिंह, शिवजी गुप्ता, रंजीत श्रीवास्तव सहित हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।