शहीद दिवस पर विशेष- उनकी माला और हमारे भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु

शहीद दिवस पर विशेष-  उनकी माला और हमारे भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय

     माला कोई भी चढ़ाए भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु तो क्रांतिकारी हैं। माला चढ़ाने से भगतसिंह के नास्तिक भावबोध, समाजवाद के प्रति अटूट आस्था, शोषणमुक्त समाज का सपना धुँधला नहीं होता । भगतसिंह , सुखदेव, राजगुरु को पाना है तो क्रांतिकारी बनना होगा। क्रांतिकारी बनने का अर्थ है सत्तामोह से मुक्ति और शोषणमुक्त विवेकवादी समाज से प्रेम । क्या क्रांतिकारियों को माला पहनाने वाले क्रांति के लिए काम करने को तैयार हैं ? भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु महज़ फ़ोटो या मूर्ति नहीं हैं। इनमें मार्क्सवादी जज़्बा था । ये मार्क्सवादी विचारधारा के प्रतीक हैं।

    लोकतंत्र कमाल का सिस्टम है इसमें विरोधी को माला पहनानी पड़ती है। जिस विचारधारा को नहीं मानते उसके नेताओं को सलाम करना होता है। उनके साथ मिलकर रहना पड़ता है। सच में यह सिस्टम दिलचस्प है। कल तक जो मार्क्सवादियों को गाली दे रहे थे वे आज मार्क्सवादी नायक भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु को माला पहना रहे हैं !सच में लोकतंत्र जो न कराए!

     भगतसिंह की तीन चीज़ें अमूल्य हैं और आम जनता की धरोहर हैं, १. इंकलाब का सपना, २.मैं नास्तिक क्यों हूँ और ३. बम का दर्शन। कायदे से हर नागरिक को इन तीनों चीजों को पढ़ाया जाय।

भगतसिंह अकेला बड़ा नायक है जो खुलकर बुर्जुआ वर्गीय नीतियों पर प्रहार किया। इन नीतियों की क्रांतिकारी आलोचना आज भी प्रासंगिक है।

इन तीनों को इंक़लाब से नीचे कोई चीज पसंद नहीं थी। आजकल के नेताओं को सत्ता चाहिए। राष्ट्र चाहिए। धर्म चाहिए।जाति चाहिए। आरक्षण चाहिए। लेकिन भगतसिंह को तो सिर्फ इंक़लाब पसंद था, भगतसिंह ने अपनी शहादत राष्ट्र के लिए नहीं इंक़लाब के लिए दी थी। गांधी राष्ट्र के लिए लड़ रहे थे ,लेकिन भगतसिंह इंकलाब के लिए लड़ रहे थे दोनों के मक़सद अलग थे, नजरिया अलग था। आजादी के बाद संप्रभु राष्ट्र मिल गया लेकिन शोषण नहीं गया। इंक़लाब आया होता तो राष्ट्र भी मिलता और शोषण भी ख़त्म होता। हमें भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि चाहिए ,इंकलाब चाहिए।

    भगतसिंह आदि ने आध्यात्मिक देश में जन्म लेकर धर्म की तीखी आलोचना की। सामान्यजन के लिए धर्ममुक्त और शोषणमुक्त समाज का सपना पेश किया।

    जो लोग धर्म के आधार पर समाज को देखते हैं वे कभी देश को शोषणमुक्त नहीं बना सकते, देश शोषणमुक्त तब बनेगा जब वह धर्ममुक्त हो और वैज्ञानिकचेतना युक्त हो। 

    जयश्री राम या रघुपति राजा राम कहने की बजाय भगतसिंह ने इंक़लाब ज़िंदाबाद कहा। गर्व से कहा मैं मनुष्य हूँ और नास्तिक हूँ।

साभार

जग्दीश्वर चतुर्वेदी ✍️