ग्रामीण गृहिणी,शिक्षिका गीता राय की कविता_ हिंद की वाणी ‌‌‌हिंदी का ,व्यापक करें प्रचार

ग्रामीण गृहिणी,शिक्षिका गीता राय की कविता_ हिंद की वाणी ‌‌‌हिंदी का ,व्यापक करें प्रचार

रिपोर्ट_ प्रेम शंकर पाण्डेय ✍️

भारत की पहचान है, हिन्दी है अभिमान।

आओ मिलकर हम करें,हिन्दी का सम्मान।

राजभाषा के रुप में, हुआ सुशोभित माथ।

राष्ट्र भाषा के पद पर,करो विभूषित आप।

मगही, मगधी, मैथली, भोजपुरिया महान।

अवधी में तुलसी लिखे,रामचरित गुणगान।

वैज्ञानिक भाषा यही, बरसे ज्ञान अपार।

सरल सहज,मृदुभाषिणी,भरा हुआ रसधार।

संस्कृत की है आत्मजा,भाषा रूप निधान।

देवनागरी में सजी, लिपि की है पहचान।

साधन है अभिव्यक्ति का,भाषा विविध प्रकार।

हिंद की वाणी हिंदी का, व्यापक करें प्रसार।

तत्सम ,वर्तनी शुद्धता, व्याकरण दे निखार ।

अलंकार, रस, छंदो से, हिंदी करे श्रृंगार ।

               लेखिका- गीता राय 'गीत'✍️

  ‌‌‌                  ग्राम+ पोस्ट, पाली ‍‍‌‍‌‌।

                 (कासिमाबाद)गाजीपुर,उप्र.