आपरेशन सिंदूर : हमले कहाँ हुए..

आपरेशन सिंदूर : हमले कहाँ हुए..

रिपोर्ट - प्रेम शंकर

मार्केट तैबा कैंप

भारत का कहना है कि वास्तविक सीमा से 25 किमी. (16 मील) दूर स्थित यह शिविर आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुख्यालय था, जिसका संबंध पिछले महीने हुए हमले से है।

2008 के मुंबई हमलों के एकमात्र जीवित पकड़े गए अपराधी अजमल कसाब को भी इस सुविधा में प्रशिक्षित किया गया था। भारत की वित्तीय राजधानी पर हुए उस हमले में 160 से अधिक लोग मारे गए थे।

मार्केट सुभान कैंप

भारत का कहना है कि पाकिस्तान में सीमा से लगभग 100 किमी (62 मील) दूर स्थित यह शिविर इस्लामी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का मुख्यालय था और इसका इस्तेमाल भर्ती, प्रशिक्षण और विचारधारा के प्रचार के लिए किया जाता था।

महमूना जॉय कैंप

भारत का कहना है कि सीमा से 12 किमी दूर स्थित आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन के प्रशिक्षण केंद्र इस शिविर से हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया, जिसमें 2016 में एक भारतीय वायु सेना अड्डे पर हमला भी शामिल है जिसमें सात लोग मारे गए थे।

गुलपुर कैंप

भारत का कहना है कि यह शिविर सीमा से 30 किमी. (19 मील) दूर स्थित लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा था। साथ ही, जून में कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर किया गया हमला भी इसी शिविर में प्रशिक्षित "आतंकवादियों" द्वारा अंजाम दिया गया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे।

2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी भी शिविर में अक्सर आता था।

सरजाल कैम्प

भारत का कहना है कि मार्च में जम्मू-कश्मीर में हुए हमले के अपराधियों को पाकिस्तान के अंदर 6 किलोमीटर (4 मील) दूर स्थित शिविर में प्रशिक्षित किया गया था और वहीं से उन्हें भेजा गया था।

अब्बास कैम्प

भारत का कहना है कि सीमा से 13 किमी. (8 मील) दूर स्थित यह शिविर लश्कर-ए-तैयबा के आत्मघाती हमलावरों के प्रशिक्षण का "मुख्य केंद्र" था।

सैयदना बेलाल कैम्प

भारत का कहना है कि यह शिविर, जो जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा था, का इस्तेमाल भारतीय कश्मीर में "आतंकवादी गतिविधियों" के लिए हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण तथा जीवित रहने की तकनीक प्रदान करने के लिए किया जाता था।

सवाई नाला कैंप

भारत का कहना है कि वास्तविक सीमा से लगभग 30 किमी (19 मील) दूर स्थित यह शिविर लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र था।

बरनाला कैंप

भारत का कहना है कि इस सुविधा का उपयोग आतंकवादियों को हथियार चलाने, विस्फोटक उपकरण बनाने तथा जंगल में जीवित रहने की तकनीक सिखाने के लिए किया जाता था।

साभार

(रायटर)