व्यापार ही सबका बाप है....
विचार बिंदु...
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पूरे घटनाक्रम में एक बात सामने निकल कर आती है कि सुरक्षा से भी पहले व्यापार है। पाकिस्तान के साथ इस संघर्ष में जब भारतीय सेना ने अमेरिकी और चीनी हथियारों की ही नहीं तुर्की के हथियारों की भी भद्द पीट दी , तब चीन भी जागा और अमेरिका भी । हथियार मार्किट में साख गिरने का डर था । पर भारत के अपने और रूस के भी हथियार थे तो साथ ही इज़राइल के भी ।
पहले चीन भारत के उपभोक्ता बाजार को खोना नहीं चाहता था , हालांकि पाकिस्तान में उसका बहुत सारा पैसा सीपेक योजना में लगा हुआ है , लेकिन अमेरिका को वह दुनिया की पंचायत का पंच नहीं मानता । हमारे यहाँ तो प्रधानमंत्री जी ने सम्बोधन के लायक भी नहीं समझा राष्ट्र को । न ही कश्मीर का कोई दौरा किया । वैसे हर महीने मन की बात जरूर करते हैं।
करीब एक हजार करोड़ का खर्चा होता है एक दिन के युद्ध का । हमारे देश ने सिर्फ खोया ही , जवान भी , नागरिक भी और सत्ता की समझदारी और अपनेपन का भरोसा भी । कोई और हमारी पंचायत में मूसलचंद बना कैसे ? क्या पिछली सरकारों की सही नीतियों से इतनी नफरत है ? जो देश के लिए आज तक नहीं स्वीकार किया इस बार कैसे मान लिया गया ? पाकिस्तान को तो पैसा भी मिलेगा , अमेरिका को उसका एक बेस भी ....और चीन ने अपना लगाया हुआ पैसा भी सेफ कर लिया । वह एशिया का धाकड़ भी स्थापित कर रहा है खुद को ।
देश भावनाओं में बह गया एक बार फिर ....और अब बढ़ा हुआ टैक्स भी भरेगा इस खर्च को पूरा करने के लिए , वादों के झूठ को छिपाने की एक ढाल भी मिल गई राकनीति को । मीडिया ने देशभक्ति में झूठ और टीआरपी के लिए भारत की छवि को खराब किया । बस विजेता कोई रहा तो वह सेना और उसका सम्मान रहा ....बाकी तो चुनाव, कुर्सी और मित्रों के हित ही साधते नज़र आए । कितने व्यापारियों के नाम इतिहास में याद किए जाते हैं ? एक महिला प्रधानमंत्री ही नहीं अटल जी के भी विडियों साझा किए जा रहे हैं । भांड राजा लोग रखा करते थे ...आजकल वह काम चरण चुंबन मीडिया कर रहा है । हर तरफ व्यापार है , हमारी आपकी भावनाओं को टीवी पर दिखाकर भुनाया । कोई वोट पाएगा , कोई कुर्सी पाएगा ....पर साहब इज्जत के व्यापार के लिए कुछ नाम इतिहास जरूर याद रखेगा ।
हम यद्ध समर्थक नहीं हैं , लेकिन सम्मान समर्थक तो हैं और उसके लिए जान देने का जज्बा रखने वाले भी । पर देश की इज्जत का यह घिनौना व्यापार ...समझ से बाहर है । हमने पाया क्या यह सब कर के ? क्या अब हमारे हथियार ज्यादा बिकेंगे ? इस बात से हम संतोष कर लें ? देश की उन दोनों जाबाज़ बेटियों पर सड़ी मानसिकता के साथ जीने वाले कुत्ते भौंक रहे हैं , मगर कोई कार्यवाही नहीं हो रही , किसी को मुसलमान किसी को जाटव बताकर एक औरत होने के अदम्य कौशल, उनकी शिक्षा और पद का अपमान कर रहे हैं कुछ कलुषित मानसिकता के लोग । चैनलों को बंद कर देने का आदेश देने वाले इस कृत्य पर मौन क्यों हैं? वे दोनों बहादुर बेटियाँ....इस देश की असल नायिका हैं । व्यापार में नफा-नुकसान देखने वाले इस बात को समझ भी नहीं सकते।
गलतियों को मानने से कोई छोटा नहीं होता , मगर कुछ लोग हर जगह चस्पा भी कर दिये जाएँ तब भी मन में जगह नहीं बना पाते । वर्दियाँ पहनने से कोई बहादुर नहीं होता , बहादुरी का तमगा जनता देती है , वह महज धातु का टुकड़ा नहीं होता , वह मजबूत जज्बा दिल से आता है और चिरस्थाई स्मृति और इज्जत बनता है । आप के इस व्यापार में देश की जनता भी ठगी गई और बहुत सस्ते में ।
यदि मेरा ऐसा सोचना गलत है तो आप मुझे करेक्ट कीजिये ।
साभार
केदार नाथ शब्द मसीहा✍️