फक्कड़ बाबा धाम मेले में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

फक्कड़ बाबा धाम मेले में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

रिपोर्ट -- प्रेम शंकर पाण्डेय

सन् 1962 कार्तिक बदी अष्टमी को समाधिस्थ हुए थे फक्कड़ बाबा 

देर सायं से सुबह तक बिरहा का आनंद लेते रहे श्रोता 

कासिमाबाद(गाजीपुर)। निकटवर्ती क्षेत्र गांव सुरवत(पाली) में फक्कड़ बाबा धाम पर वर्षों से लग रहा मेला इस साल भी 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को धूमधाम से पूजा अर्चना भजन कीर्तन एवं क्षेत्रीय गायकों के द्वारा दी गई मनोरंजक प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ। बिहार के बक्सर एवं निकटवर्ती जनपद बलिया आजमगढ मऊ से सैकड़ों दुकानें मेले में खरीदारी के लिए लगी थी ‌।मनिहारी बाजार में महिलाएं युवतियां एवं नवविवाहिता भी विविध प्रकार के सौन्दर्य सामग्री की जमकर खरीदारी की। विविध प्रकार के झूले,चाट झोले, आइसक्रीम, चाइनीज मेहंदी, गुब्बारे खिलौने की दुकानें दर्शकों के बीच मेला की खुबसूरत बढ़ा रही थी। वही फक्कड़ बाबा धाम पर दर्जनों दुकानदार प्रसाद फूल माला की दुकानें लगाएं थे। श्रद्धालुओं ने बाबा का प्रसाद चढ़ाकर भभूत लेकर लंबी कतारों के साथ निकल रहें थे। रात्रि में डॉ मन्नू यादव (वाराणसी) एवं सुमित्रा नंदनी (प्रयागराज) के बीच बिरहा मुकाबला जो सुबह पर चलता रहा श्रोताओं की भीड़ को बांधे रखा। मेले की शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कासिमाबाद कोतवाली पुलिस लगातार चक्रमण करती रही।

विदित हो कि फक्कड़ बाबा अपने जीवन के आखिरी दिनों में सुरवत गांव में आकर रहे और क्षेत्र के लोगों का कल्याण करते रहे। आज भी इनके बारे मे मान्यता है कि अगर किसी किसान का पशु बीमार हो जाए और उसका पगहा (जिसमें पशु खूंटे से बांधा जाता है) और एक भेली गुड़ बाबा के दरबार में पहुंचा दिया जाए तो वह ठीक हो जाता है। इस तरह फक्कड़ बाबा किसानों के रक्षक बनकर क्षेत्र के लोगों का कल्याण करते हैं। इनके भभूत को लेकर लोग माथे पर एवं पशुओं के ऊपर लगाते हैं जिससे आराम मिलता है।

फक्कड़ बाबा को क्षेत्र के लोग सिद्ध संत मानते हैं। उनके इस गांव में आने के पीछे भी एक कहानी है। बताते हैं कि 1960 में गांव सुरवत(पाली)में बहुत तेज प्लेग फैला। प्लेग एक-एक करके गांव के लोगों को मौत के मुंह में डालने लगा। प्लेग से गांव के 60 लोगों की मौत हो गई। इससे गांव के लोग बहुत चिंतित हुए। बचाव का कोई उपाय सूझ नहीं रहा था। तब किसी ने बताया कि आजमगढ़ जिले (अब मऊ) में छोटी सरयू के पार एक सिद्ध संत रहते हैं। वही लोगों को इस बीमारी से बचा सकते हैं। अगर वे गांव आने को तैयार हो जाएं तो। यह पता चलने पर गांव के कुछ रईस लोग जिनमें कलिका राय, रमा शंकर राय, गिरिजा शंकर राय आदि शामिल थे, पालकी लेकर बाबा को बुलाने के लिए गए। तब रमाशंकर राय गांव के प्रधान थे। इन लोगों को देखते ही बाबा समझ गए कि ये लोग किस लिए आए हैं। उन्होंने इन्हें देखते ही कलिका राय का नाम लेकर कहा कि आप आ गए। चलो अच्छा हुआ। मैं तुम लोगों के साथ चलूंगा। उन्होंने ये भी कहा कि अभी गांव में एक और व्यक्ति की मौत होगी। वह नहीं बच पाएगा। लेकिन इसके बाद ये बीमारी चली जाएगी। अभी लोग छोटी सरयू पर ही पहुंचे थे कि नदी पार कराने वाले मल्लाह ने बताया कि गांव में एक और व्यक्ति की मौत हो गई है। बाबा की बात सच निकली।तब बाबा पर लोगों का भरोसा पहले से अधिक बढ़ गया। बाबा गांव आ गए और उसके बाद प्लेग से किसी की मौत नहीं हुई। बाबा सुरवत गांव में ही दो साल रहे। जब मौत की घड़ी नजदीक आई तो उन्होंने कलिका राय को बुलाया और कहा कि कल हम एक बजे शरीर छोड़ेंगे। मैंने तुम्हें इसलिए बुलवाया कि तुम मेरा काम करने में अकेले ही सक्षम हो। कलिका राय इलाके के बड़े जमीदार थे। उनके पास 800 पक्के बीघे की जमीदारी थी। बाबा ने कहा कि उनके लिए 13 हाथ लंबा और सात हाथ का चौड़ा गड्ढा खोदवा देना। उसके ऊपर मंडप छवा देना। मंडप को कैद मत करना। यानी उसकी बाउंड्री मत कराना। उसी में हम समाधि लेंगे। अगले दिन डुग्गी बजवाकर पूरे गांव के लोगों को इसकी सूचना दे दी गई। गांव के लोग तय समय पर वहां पहुंच गए। बाबा को एक कुर्सी पर बैठाकर उसी गड्ढे में बैठा दिया गया। वे लोगों से बात करते रहे, आशीर्वाद देते रहे और ठीक एक बजे सन् 1962 कार्तिक वदी अष्टमी को आंख बंद कर ली। बाबा वहीं समाधिस्थ हो गए। जिस दिन बाबा ने देह त्याग किया उस दिन कार्तिक बदी अष्टमी थी।तभी से यह मेला का क्रम जारी है।2019 -2020 के बीच फक्कड़ बाब समाधि स्थल पर अब भव्य मंदिर बन चुका है। जहां साल भर आए दिन भजन कीर्तन रामायण का क्रम चलता रहता है।

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ग्राम प्रधान नंदलाल गुप्ता,मेला अध्यक्ष मुन्नू राय, मंत्री रविन्द्र नाथ पाण्डेय , पूर्व प्रधान संतोष राय,शिक्षक अरविंद राय वेदप्रकाश राय, धर्मेंद्र राय,सुधीर,सोनू गोंड , बीजेपी के पूर्व जिला मंत्री धर्मेंद्र नाथ राय, सौहार्द साथी प्रेम शंकर पाण्डेय,जफर अकील आदि लोग भी मेले के सोहार्द को बनाए रखने के लिए मुस्तैद रहें ।