इंसानियत की बदौलत समस्त समाज को एकजुट किया जा सकता है-अच्छेलाल कुशवाहा

रिपोर्ट- प्रेम शंकर पाण्डेय
आल इंडिया पयामे द्वारा भूखों को खिलाया गया खाना
मौजूद लोगों ने ऐसे पुनीत कार्य में सहयोगी बनने की जताई इच्छा
मानवता के इस कार्य में शामिल होना सौभाग्य की बात - ज्ञान प्रकाश सिंह
गाजीपुर (उप्र)। मानवता और सद्भावना हेतु समर्पित संस्था आल इंडिया पयामे इंसानियत फोरम ग़ाज़ीपुर यूनिट ने आज शाम अर्थात दिनांक 25 अप्रैल 2025 को ग़ाज़ीपुर शहर स्थित सिटी रेलवे स्टेशन पर एक नया सिलसिला भूखों को खाना खिलाने को लेकर शुरू किया। इस क्रम में फोरम ने रेलवे स्टेशन के प्रांगण में दूर दराज के मुसाफिर,फुटपाथों पर रात गुजारने वाले गरीबों को खाना खिलाया और उनकी खैर_खैरियत ली।
कार्यक्रम संयोजक नजमुस्साकिब अब्बासी ने कहा कि भूखों को खाना खिलाना पुण्य(सवाब) का काम है और आड़े वक़्त काम आने का नाम इंसानियत है,ज़रूरत है कि आज इंसानियत का हाथ थामा जाए,उनके सुख-दुःख में शामिल हुआ जाय।इसलिए मानवता की सेवा को ही हमने अपना परम् उद्देश्य बना लिया है।
आबिद हुसैन ने कहा कि हम लोगों की सोच है कि इंसानियत की खिदमत का जहाँ भी मौक़ा मिले उसे गंवाया न जाय और उसे अपना सौभाग्य समझा जाय,इसलिए भूखों को खाना खिलाने का कार्य हम कर रहे हैं।
अरमान अंसारी ने कहा कि हमेशा से माना गया है कि मानव समाज को रब की तरफ से जो सबसे बड़ी नेमत मिली है वह मानवता है,अगर किसी को ये मिल गई तो वह समाज का सबसे धनी और सुखी व्यक्ति माना जायेगा,अतःहर किसी को चाहिए कि हम हर किसी के दुःख दर्द में काम आएं।
मुहम्मद सैफ ने कहा कि वर्तमान में जबकि मानवता संकट और गहरा गया है तो ऐसे में ज़रूरत है कि समाज के मध्य जाकर उनमें मानवता का संचार किया जाय और उनके दुःख-दर्द में शामिल हुआ जाय।
अच्छेलाल कुशवाहा ने कहा कि इंसानियत ऐसा शब्द है कि जिसपर समस्त मानव समाज को एकजुट किया जा सकता है,आज समाज में जो विघटन है उसे दूर करने के लिये मानवता के कार्यों से समाज को जोड़ना ज़रूरी है।
सतीश उपाध्याय ने कहा कि लोगों की खैर_खैरियत लेने का ये सबसे बढ़िया माध्यम है, ऐसे कामों में हम जब हिस्सा लेते हैं तो हमें बहुत खुशी होती है।
ज्ञान प्रकाश सिंह ने कहा कि आज हम मानवता के इस कारवां में शामिल होकर अपने को धन्य महसूस कर रहे हैं। अन्य मौजूद लोग भी इस सेवा से बेहद खुश थे टीम में शामिल होकर आगे सेवा करने का वादा कर रहे थे।