ऐ मालिक तेरे बंदे हम ---------------------

ऐ मालिक तेरे बंदे हम  ---------------------

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय 

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पंडित भरत व्यास का निधन 4 जुलाई, 1982 को हुआ था। प्रस्तुत है उनका लिखा एक लोकप्रिय गीत-

ऐ मालिक तेरे बंदे हम

ऐसे हों हमारे करम

नेकी पर चलें और बदी से टलें

ताकि हंसते हुए निकले दम

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

बड़ा कमज़ोर है आदमी

अभी लाखों हैं इसमें कमी

पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा

तेरी किरपा से धरती थमी

दिया तूने हमे जब जनम

तू ही झेलेगा हम सबके ग़म

नेकी पर चलें और बदी से टलें

ताकि हंसते हुए निकले दम

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

ये अँधेरा घना छा रहा

तेरा इंसान घबरा रहा

हो रहा बेखबर कुछ न आता नज़र

सुख का सूरज छुपा जा रहा

है तेरी रौशनी में जो दम

तू अमावस को कर दे पूनम

नेकी पर चलें और बदी से टलें

ताकि हंसते हुए निकले दम

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

जब जुल्मों का हो सामना

तब तू ही हमें थामना

वो बुराई करे हम भलाई भरें

नहीं बदले की हो कामना

बढ़ उठे प्यार का हर कदम

और मिटे बैर का ये भरम

नेकी पर चलें और बदी से टलें

ताकि हंसते हुए निकले दम

ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

इसके अतिरिक्त उनके लिखे प्रमुख लोकप्रिय गीत हैं-

आधा है चंद्रमा, रात आधी–फिल्म नवरंग

जरा सामने तो आओ छलिये–जनम -जनम के फेरे

चली राधे रानी भर अंखियों में पानी अपने–परिणीता

ऐ मालिक तेरे बंदे हम– दो आंखें बारह हाथ

ओ चांद ना इतराना– मन की जीत

जा तोसे नहीं बोलू, घूंघट नहीं खोलूं – सम्राट चंद्रगुप्त

तू छुपी है कहां, मैं तड़पता यहां– नवरंग

जोत से जोत जलाते चलो– संत ज्ञानेश्वर

कहा भी न जाए, चुप रहा भी ना जाए – बेदर्द जमाना क्या करें क्या जाने

निर्बल की लड़ाई बलवान की, यह कहानी – तूफान और दिया ( 1965 का सर्वश्रेष्ठ गीत)

आ लौट के आजा मेरे गीत– रानी रूपमती

चाहे पास हो चाहे दूर हो– सम्राट चंद्रगुप्त

साभार 

रजनीकांत शुक्ला ✍️