कासिमाबाद (गाजीपुर):केवट संवाद प्रसंग सुनकर ‌भाव-विभोर हुए श्रद्दालु

कासिमाबाद (गाजीपुर):केवट संवाद प्रसंग सुनकर ‌भाव-विभोर हुए श्रद्दालु

रिपोर्ट- अरूण पाण्डेय ✍️

कासिमाबाद (गाजीपुर): क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सभा गोपालपुर में तीन दिवसीय श्रीराम कथा का समापन हुआ।कथा वाचक पंडित नीरज शास्त्री जी ने ग्रामीणों को तीन दिनों तक कथा का श्रवण कराया।कथा समापन के अंतिम दिन शास्त्री जी ने केवट की भक्ति पर प्रकाश डाला।रामकथा में केवट संवाद प्रसंग सुन कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जयकारे गूंजते रहे। भक्ति का माहौल बन गया। कथा व्यास पं.नीरज शास्त्री ने केवट संवाद प्रसंग सुनाते हुए कहा कि केवट से राम ने नाव मांगी पर केवट तुरंत नहीं आया और बोला मैं आपके मर्म को जानता हूं। उसने रात्रि में श्रृंगवेरपुर के जंगल में लक्ष्मण और निषादराज की वार्ता को सुन लिया था। वह जान गया था कि ये राजा दशरथ के बेटे बन कर आए हैं। मूल रूप से बृह्म ही हैं। शत रख दी कि पैर धुलालो तब नाव पर चढ़ाऊंगा। उद्देश्य चरणोदक लेने का है। यदि न धुलाना चाहो तो आगे थोड़ी दूरी पर कमर तक जल है। पैछल चले जाओ। लक्ष्मण की आन और आपके पिता की सौगंध खाता हूं। नाव पर नहीं चढ़ाऊंगा। आप से उतराई भी नहीं लुंगा। लक्ष्मण ने क्रोधित होकर वाण निकाला। तब ही केवट बोला मार दें। भक्त के हाथ से मरुंगा गंगा तट पर मरुंगा और रामसीता के सामने मरुंगा। मेरा उद्धार हो जागा। आपको अंतिम क्रिया तक रहना पड़ेगा। लक्ष्मण शांत हो गए। तब राम मुस्काए और कहा कि केवट पैर धो लो। केवट घर से कटोरा ले आया। केवट एक पैर धोता और दूसरा मिट्टी में लिपट जाता है। भगवान कब तक एक पैर पर खड़े रहें। बोला मेरे सिर का सहारा ले लो। राम ने केवट के सिर पर हाथ रख दिया। देवों ने पुष्प वर्षा की। चरणामृत परिजनों, बन्धुजनों को पिला कर गंगा पार ले गया। उतराई देने पर केवट ने इनकार कर दिया और कहा कि मुझे भवसागर से पार कर दें। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इसके पूर्व पर पूर्व प्रधान रजनीश पाण्डेय, पूर्व कुलपति डॉ.हरिकेश सिंह, अरूण पाण्डेय, पूर्व प्रधान घरिहा सर्वानंद सिंह माल्यार्पण कर कथा व्यास का स्वागत-सत्कार किया।इस अवसर पर आयोजक मंडल पवन पाण्डेय,बब्लू गुप्ता,प्रमोद गुप्ता,प्रमोद प्रजापति व रंजीत पाण्डेय, राजेश सिंह,छांगुर यादव आदि श्रद्धालु उपस्थित रहें।