शख्शियत: शिक्षक परिवार में जन्मे पंडित मदन कुमार शर्मा ऊंची रसूख के स्वामी , बेटियों को मानते हैं बेटा

शख्शियत: शिक्षक परिवार में जन्मे पंडित मदन  कुमार शर्मा ऊंची रसूख के स्वामी , बेटियों को मानते हैं बेटा

रिपोर्ट- वरिष्ठ संवाददाता फतेहबहादुर गुप्त ✍️

रतनपुरा (मऊ)।प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे का सशक्त हस्ताक्षर बने हैं, पंडित मदन कुमार शर्मा। मऊ जनपद के रतनपुरा विकास खंड मुख्यालय स्थित रतनपुरा ग्राम पंचायत के मूल निवासी पंडित मदन कुमार शर्मा विद्वान प्रवक्ता, और ऊंची शख्सियत के मालिक हैं ।अपनी व्यवहार कुशलता, सदाशयता तथा मानवीय गुणों से ओतप्रोत हैं। शिक्षक परिवार में जन्मे पंडित मदन कुमार शर्मा का जन्म 1 जनवरी 1958 को प्राथमिक शिक्षक पिता स्वर्गीय धर्म देव शर्मा एवं माता इंद्रावती देवी के घर में हुआ।जिनकी प्राथमिक शिक्षा दीक्षा रतनपुरा में ही हुई ।जबकि छठवीं से लेकर के दसवीं तक की शिक्षा रतनपुरा स्थित नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज में हुई। उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए जौनपुर स्थित तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय का चयन किया, जहां से उन्होंने ग्रेजुएशन ,पोस्ट ग्रेजुएशन एवं बीएड की शिक्षा ग्रहण की । उच्च शिक्षा के लिए जौनपुर का चयन करना पंडित मदन कुमार शर्मा की विशिष्टता थी। क्योंकि उनके बड़े भाई गिरीश चंद शर्मा भारतीय स्टेट बैंक जौनपुर की कचहरी शाखा के शाखा प्रबंधक थे ,और वही पर रह करके उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण किया।वर्ष 1980 में बी एड की शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह सिविल सेवा की तैयारी में लग गए ,और तीन बार सिविल सेवा की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इंटरव्यू में असफल हो गए। पंडित मदन कुमार शर्मा चार भाइयों में सबसे छोटे हैं ,जबकि उनके तीन भाई क्रमशः गिरीश चंद शर्मा भारतीय स्टेट बैंक में शाखा प्रबंधक, अरविंद कुमार शर्मा उर्फ गिरधर ग्रामीण बैंक में क्षेत्रीय प्रबंधक तथा मुरलीधर शर्मा भारतीय स्टेट बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में कार्य करने के उपरांत सेवानिवृत हो चुके हैं। उच्च शिक्षा प्रदत्त यह परिवार अपने सामाजिक सेवाओं में सदैव ही अग्रणी भूमिका अदा करता रहा है। सिविल सर्विस में सफलता न मिलने पर उन्होंने शिक्षण कार्य को अपनाने का निर्णय लिया, और इन इसमें उन्हें भारी सफलता मिली। उन्होंने 30 सितंबर 1991 को नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज में बतौर शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी ,और इतिहास प्रवक्ता के रूप में उन्होंने अनगिनत बच्चों का भविष्य निर्धारित किया। 29 वर्ष तक नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में सेवा देते हुए 31 मार्च 2020 को वे सेवानिवृत्त भी हो गए ।इस बीच उन्होंने अपनी विद्वता का खूब परचम लहराया। सामाजिक क्षेत्रों में जहां अपनी गतिविधियां तेज की। वही दूसरी तरफ अपनी व्यवहार कुशलता,विद्वता से शिक्षा क्षेत्र सहित शैक्षिक संगठन में भी अपनी विशिष्ट आभा मंडल का परिचय दिया । चार पुत्रियों के पिता पंडित मदन कुमार शर्मा देश के प्रधानमंत्री के उस स्लोगन का तहे दिल से स्वागत करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। पंडित मदन कुमार शर्मा का कहना है कि उनकी चार लड़कियां हैं ,और उन्होंने अपनी लड़कियों को कभी बेटियां नहीं समझा, बल्कि उन्हें पुत्रवत स्नेह देते हुए बेटे की तरह पाला पोसा, और उन्हें सदा ही बेटा समझा। एक साधारण परिवार में पैदा हुए और प्रवक्ता बन करके बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाया ,जो कार्य बेटे कर सकते हैं ,वह बेटियां भी बखूबी कर सकती हैं, ऐसा उनका मानना है। इतिहास साक्षी है कि बेटियां रानी दुर्गावती ,रानी लक्ष्मीबाई जैसी अपने शौर्य और वीरता का परिचय दे सकती हैं। जब बेटियां है , तो एक पिता के घर का नाम और दूसरे समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करती हैं। क्योंकि बेटियों को उच्च शिक्षा अति आवश्यक है। उनसे जहां राष्ट्र का निर्माण होगा , वही एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। यही वजह है कि बेटियों को कभी बेटी नहीं बल्कि बेटा समझा। पंडित मदन कुमार शर्मा की एक बेटी की शादी हो गई है। वह अपने घर चली गई है। दूसरी बच्ची को उन्होंने प्रोफेशनल उच्च शिक्षा दिलाई है ,जिसका नाम साक्षी शर्मा है । साक्षी शर्मा कानपुर से बी टेक जैसी तकनीकी शिक्षा ग्रहण की है ,उसके बाद उसका कैंपस इंटरव्यू में सिलेक्शन हो गया ,और वह सर्विस में चली गई ।इस बीच वह एमबीए की तैयारी करती रही ,और उसने लंदन स्थित रस्की यूनिवर्सिटी से एमबीए किया, और आज वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के दिल्ली स्थित दफ्तर में अच्छे पैकेज पर अपनी सेवाएं दे रही है। उनकी कुल 4 लड़कियां हैं, और उन्होंने इनसे कभी हिम्मत नहीं हारी ,बल्कि पूरी तन्मयता और गर्मजोशी से बेटियों का पालन पोषण और उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने में सदैव तत्पर रहे। पंडित मदन कुमार शर्मा का मानना है कि बेटियां घर की प्रथम शिक्षिका होती है ,और अपनी संतान को वह अच्छी शिक्षा देती है, जिससे राष्ट्र का नव निर्माण होता है । जहां वो रहती है वहां तो घर रोशन करती ही है ,जब वह विदा होकर दूसरे के घर जाती है तो वहां भी उस घर को रोशन करती है। बेटियां जो हैं, एक तो पिता के घर का नाम रोशन करती हैं, दूसरे समाज और राष्ट् का निर्माण होता है। वही आने वाली पीढ़ी शिक्षित होगी ।और समाज का बेहतर ढंग से निर्माण होगा। पंडित मदन कुमार शर्मा की विशिष्टता और उपलब्धियां भी सामने वाले को काफी बेहतर ढंग से प्रभावित करती हैं उन्होंने जरूरतमंदों को समय-समय पर जहां आर्थिक मदद की है वही उदार मन होने के नाते उनके मित्रों की एक बहुत बड़ी फौज है जो उनके इर्द-गिर्द रहकर एक दूसरे का व्यापक स्तर पर सहयोग करते रहते हैं। फैशन के वह बहुत बड़े ही स्टाइलिस्ट आईकॉन हैं। चेहरे पर चश्मा लगाना उनका बहुत बड़ा शगल है। पहनावा उनका फैशन फेमिनिस्ट का विशिष्ट अंदाज है, जिसके चलते उनके छात्र और गांव के युवा सदैव प्रभावित रहते हैं। उन्होंने मीडिया के माध्यम से युवा जनों को संदेश देते हुए कहा है कि शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत वे कठोर परिश्रम करके अपना तयशुदा मापदंड का निर्धारण करें क्योंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता बल्कि अपने आइडियल सोच को मूर्त रूप देने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। यही सफलता का मूल मंत्र है। जिसे हर विद्यार्थी को अपनाना चाहिए। तभी वह अपनी तयशुदा मंजिल पा सकता है। रतनपुरा स्थित नेहरू इंटरमीडिएट कॉलेज से सेवानिवृत्त हो चुके प्रवक्ता पंडित मदन कुमार शर्मा का कालेज परिसर में ही अभिनंदन समारोह हुआ। जिसमें उन्हें विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राकेश सिंह ने फूल माला पहनाकर एवं अंगवस्त्रम प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया ,और भावभीनी विदाई दी। प्रधानाचार्य बनने से पूर्व डॉ राकेश सिंह एक शिक्षक के रूप में कुशल संगठन कर्ता भी रहे ,और शिक्षक नेता के रूप में अपनी पहचान बनाते हुए पंडित मदन कुमार शर्मा को भी अपने शिक्षक संगठन में बेहतर पद देकर के शिक्षक संगठन नेता के रूप में विशिष्ट पहचान दिलाया था। सेवानिवृत्त प्रवक्ता पंडित मदन कुमार शर्मा की खासियत यह है कि वह समाज के सभी आयु वर्ग के लोगों में खासे लोकप्रिय हैं, और उन सभी के चहेते बने हुए हैं। यही वजह है कि बच्चों से लेख है बुजुर्गों तक में उनकी अपनी एक विशिष्ट पहचान है।