आवला नवमी: पूजा विधि एवं‌ धार्मिक महत्व

आवला नवमी: पूजा विधि एवं‌ धार्मिक महत्व

रिपोर्ट- सचिन पाण्डेय ✍️

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है। आंवला नवमी दिवाली के 9 दिनों बाद मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने का विधान होता है। मान्यता है आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से रोगों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा किया जाता है उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है। पदम् पुराण के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है।

????पूजा विधि

सूर्योदयसे पूर्व स्नान करके आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत, पुष्प, गंध आदि से पवित्र वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें। उसके उपरांत कथा का श्रवण या वाचन करें।

????आंवले का धार्मिक महत्व 

‌पदम पुराण के अनुसार यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है। इस फल को खाने मात्र से मनुष्य पापों से क्षीण हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है। आवलें का रस पीने से धर्म-संचय होता है और उसके जल से स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। आंवले का दर्शन, स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। जहां आंवले का फल मौजूद होता है, वहाँ भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं तथा उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय अनंत गुणा फल मिलता है। पद्म पुराण में भगवान शिव ने कार्तिकेय से कहा है कि आंवला वृक्ष साक्षात् विष्णु का ही स्वरूप है यह विष्णु प्रिय है और इसके स्मरण मात्र से गोदान के बराबर फल मिलता है।