किसान संगठनों की बैठक खत्म,29दिसम्बर को केंद्र सरकार से होंगी वार्ता

रिपोर्ट-प्रेम शंकर पाण्डेय ✍️■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 31वां दिन है. इस बीच, दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने बैठक की. जिसमें सरकार के प्रस्ताव पर निर्णय लेते हुए किसान संगठनों ने आगे की बातचीत पर सहमति जताई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के प्रस्ताव पर बैठक के बाद कहा कि उन्होंने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे केंद्र के साथ वार्ता प्रस्तावित की है. इसके साथ ही, किसान संगठनों ने सरकार को पत्र लिखकर फिर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को लिखे पत्र में कहा, '24 दिसंबर को आपका पत्र प्राप्त हुआ. अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है. हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की. सरकार ने इसे तोड़-मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी. आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है. अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें.' संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे लिखा, 'बहरहाल, चूंकि आप कहते हैं कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं. हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए.' केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग एक महीने से आंदोलन कर रहे किसानों का साथ देने के लिए शनिवार को पंजाब से किसानों के कई जत्थे राशन और अन्य आवश्यक सामान अपने साथ लेकर दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़े. किसान यूनियन के नेताओं के अनुसार संगरूर, अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर और बठिंडा जिलों समेत विभिन्न स्थानों से किसान सिंघू और टिकरी बॉर्डरों की ओर बढ़ रहे है. उन्होंने शनिवार को पंजाब के कई हिस्सों में कोहरे और शीत लहर की स्थिति के बावजूद यात्रा शुरू की. ट्रैक्टर ट्रॉली, कारों और अन्य वाहनों से बुजुर्गों और महिलाओं सहित किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं की ओर बढ़ रहे है. इन वाहनों को अमृतसर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर देखा गया. ऐसा लगता था कि किसानों को लंबे समय तक रहने के लिए तैयार किया गया है क्योंकि उनकी ट्रॉलियों में उनका राशन और अन्य आवश्यक सामान भी था. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी के निकट प्रदर्शनस्थलों की ओर खनौरी और डबवाली सीमाओं से हजारों किसान मार्च करेंगे. संगठन के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि जो नये जत्थे आ रहे हैं, उनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं. इस बीच शनिवार को हरियाणा में करनाल, सिरसा, रोहतक और झज्जर जिलों समेत कई स्थानों पर आंदोलनकारी किसानों ने कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूले जाने में व्यवधान उत्पन्न किया. हालांकि गुरूग्राम और पलवल जिलों में विभिन्न टोल प्लाजा पर कामकाज सामान्य रहा. गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आये किसान केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर पिछले लगभग एक महीने से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. साभार- न्यूज़ 18