मजदूरों व कामगारों के अधिकारो को याद दिलाने का दिन है मजदूर दिवस- काजी फरीद आलम

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
सौहार्द एवं बंधुत्व मंच के बैनर तले निकला मजदूर दिवस का जुलूस
संगोष्ठी का विषय "भारतीय मजदूरों की दशा व चुनौती" रहा
समावेशी साथी अच्छेलाल ने जमीन की मालीकाना हक के लिए किया सार्थक पहल
बिंदवलिया (गाजीपुर)
1 मई "अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस" के अवसर पर सौहार्द बन्धुत्व मंच के बैनर तले बंचित , मजदूर बनवासी समुदाय के बस्ती में जुलुस निकालकर संवाद किया गया जिसका मुख्य विषय रहा " भारतीय मजदूरों की दशा व चुनौती"। कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले जुलुस (पदयात्रा) निकालकर किया गया।जिसके तहत दुनिया के मजदूरों एक हो, मजदूर के बलिदानो को याद करेगा हिन्दुस्तान ,, और शहीद मज़दूर अमर रहें- अमर रहें,, नारे की गुंज सुनाई दी।
बैठक को संबोधित करते हुए काजी फरीद आलम ने कहा कि मजदूरों व कामगारों के अधिकारो को याद करने का आज दिन है, 1886 ई. शिकागो में 8 घंटे काम का मांग करते हुए एक हड़ताल शुरूआत की, जिसमें 8मजदूर शहिद हुए, जिनकी याद में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, सबसे पहले आप मजदूर भाईयों को संगठित होना पड़ेगा! जो मजदूरों को कुर्बानी देनी पड़ी उन्हें शहीद भाईयों को याद करने का आज दिन है, ! जो पहले 12 घंटे मजदूरों को मजदूरी करनी पड़ती थी , लेकिन कुर्बानियों की वजह से आज 8 घंटे मजदूरी करनी पड़ती है! शहीद मजदूर भाईयों का कहना था कि 8 घंटे काम करेंगे, 8 घंटे सोयेगे और हम मजदूर भी 8 घंटे मस्ती करेंगे! हमारी मजदूरी का उचित दाम मिलें--,,
इस अवसर पर समावेशी साथी अच्छेलाल सौहार्द एवं बंधुत्व मंच से जुड़े सदस्य संग श्रमिक मौजूद रहे।