कुल्लड़ की ट्रेडिंग में व्यापार की असीम संभावना_ हरेंद्र कुमार प्रजापति

कुल्लड़ की  ट्रेडिंग में व्यापार की  असीम संभावना_ हरेंद्र कुमार प्रजापति

रिपोर्ट- फतेहबहादुर गुप्त ✍️

रतनपुरा (मऊ) । प्लास्टिक के गिलास आज व्यापक पैमाने पर इसलिए प्रचलन में हैं, क्योंकि मिट्टी से बने हुए कुल्लहड़ की उपलब्धता नहीं के बराबर है। यह कहना है उत्तर प्रदेश सरकार माटी कला बोर्ड के सदस्य हरेंद्र कुमार प्रजापति के जिन्होंने बुधवार को स्थानीय पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहीं । उन्होंने कहा कि आज तक कुल्लहङ की ट्रेडिंग नहीं की जा सकी । छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कहा कि इसके लिए कुल्हङो की ट्रेडिंग किया जाना अति आवश्यक है। 100-200 एवं 400-500 की संख्या में कुल्लहङो की पैकिंग हो और उनकी सप्लाई सुदूर अंचलों तक की जाए तो इससे जहां एक तरफ प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे । माटी कला बोर्ड के सदस्य ने यह स्वीकार किया कि कुल्लहङो की ट्रेडिंग के अभाव में उनकी खपत पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती है ।जिसके चलते कुल्हाड़ों के निर्माताओं को पर्याप्त बाजार नहीं मिलता । इसलिए काफी कम संख्या में कुल्हङों का निर्माण करते हैं । यदि शासन और प्रशासन ने इस ज्वलंत मुद्दे की तरफ ध्यान एवं कूल्हङों की ट्रेडिंग की गई ,और उनको पर्याप्त रूप में बाजार प्रदान किया गया तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए यह एक सुनहरा सुनहरा अवसर होगा । कुल्लहङो का निर्माण कर पर्याप्त मात्रा में अपनी कमाई कर सकेंगे। साथ ही प्लास्टिक के उपयोग से लोग बचेंगे। क्योंकि प्लास्टिक के चलते पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है । प्लास्टिक के प्रदूषण से सर्वत्र वातावरण विषाक्त हो जाता है। इसलिए एक तरह प्रदूषण से मुक्ति और दूसरी तरफ कुटीर उद्योगों के माध्यम से लोगों को उनके जीवन स्तर को उठाने का प्रयास यह दोनों ही बातें सकारात्मक दिशा प्रदान करेंगे । हरेंद्र कुमार प्रयास ने इस संबंध में शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए इस दिशा में अभिलंब ठोस एवं प्रभावी कदम जनहित में उठाए जाने की आवाज बुलंद की है ।