ठैचा में बने पीपे के पुल को क्रियाशील न किए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश

रिपोर्ट -- फतेहबहादुर गुप्ता
ग्राम प्रधान का अथक प्रयास भी विफल
रतनपुरा, मऊ।रतनपुरा प्रखंड के दक्षिणांचल स्थित तमसा निकट गांव ठैचा के गोदाम घाट पर पीपा पुल का निर्माण किया गया था।
जिसे बीते जून माह में नदी में पानी के बढ़ाव की आशंका को देखते हुए ठेकेदार द्वारा पुल के पीपे को नदी के किनारे लगा दिया गया। जिसे पुन: सितंबर माह में व्यवस्थित किया जाने की ग्रामीणों की आशा थी।परंतु इस वर्ष बाढ़ भी नहीं आई और पीपा पुल को दुरुस्त भी नहीं किया गया। जिसकी वजह से तीन जनपदों मऊ, बलिया और गाज़ीपुर के लोगों का आवागमन बाधित हो गया है।
पीपा पुल के अवस्थाना में देरी से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। पुल के निर्माण में जो सक्रियता लोक निर्माण विभाग को दिखानी थी, वह फलीभूत होती नजर नहीं आ रही है। बल्कि लगातार इसमें विलंब की स्थिति पैदा की जा रही है। पुल की स्वीकृति से जनपद के रेता, कोन्हिया, ठैचा, पिपरसाथ, लसरा, पिंडोहरी दूसरी तरफ बलिया जनपद के अतरसुवां, मड़ई, धनईपुर तथा सराय भारती एवं गाजीपुर जनपद के पाली, अवराकोल और सुरवत गांव के नागरिकों में काफी प्रसन्नता व्याप्त थी। ठेकेदार को विभाग द्वारा 18 पीपा मुहैया करा दिया गया था , इसके बाद ठेकेदार द्वारा पीपा पुल का निर्माण कर दिया गया जिससे तीनों जनपदों के लोगों का आवागमन होने लगा था।जो लगभग 6 माह के आसपास हुआ। लेकिन आज तक उसे पुनर्स्थापित नहीं किया जा सका। लोगों को आने-जाने में नाव का सहारा लेकर इस पार से उस पर जाना पड़ता है ।तमसा में पानी घटाव बिदु पर है, और ऐसी स्थिति में पीपा पुल पूरी तरह से क्रियाशील होना चाहिए। सबसे ज्यादा परेशानी रेता पूरवा का है। जहां जाने के लिए पीपा का पुल ही एकमात्र सहारा था वह भी इन दोनों क्रियाशील ना होने की वजह से इस गांव के लोगों का आना-जाना दुबर हो गया है ।अब एकमात्र नाव का ही सहारा रह गया है जो काफी जोखिमपुर्ण है।
उल्लेखनीय है कि ठैचा के गोदाम घाट पर पीपे के पुल के निर्माण में घोसी के तत्कालीन भाजपा विधायक विजय राजभर ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी। उन्हीं के प्रयास से पीपा का पुल अस्तित्व में आया था। परंतु उसे दोबारा क्रियाशील न किए जाने की वजह से ग्रामीणों में काफी निराशा व्याप्त है ,और तीन जनपदों के लोगों में होने वाली कठिनाई को लेकर के काफी आक्रोश व्याप्त है।
चुकी क्षेत्र के सांसद और विधायक दोनों जेल में है,और ग्रामीणों की व्यथा को कोई सदन तक पहुंचने वाला है नहीं। ऐसी विकट परिस्थितियों में ग्रामीणों को आवा-जाही में घोर मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है । स्थानीय छूटभैया नेताओं को इसमें दिलचस्पी है नहीं। वे जानते हैं कि उनकी बातें नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह हो जाएगी। इसलिए पीपे के पुल की पुनर्स्थापना में कोई दिलचस्पी नहीं दिख रहा है।इस सम्बन्ध में ग्राम प्रधान सुभाष राजभर ने बताया कि समस्या के निराकरण के लिए दर्जनों बार जिला स्तर पर पैरवी किया गया लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ हुआ नहीं।
ग्रामीणों ने तत्काल पीपे के पुल को चालू किए जाने की मांग शासन और प्रशासन से की है।