पं.मदन मोहन मालवीय ने हिंदी प्रेस की आधारशिला रखकर पत्रकारिता को जनसेवा का माध्यम बनाया-प्रो.वंदना पाण्डेय

रिपोर्ट- प्रो.वंदना पाण्डेय ✍️
महामना पत्रकारिता को एक कला मानते थे। उन्होंने पत्रकारिता में नवीन विधाओं की शुरूआत की, हिन्दी प्रेस की आधारशिला रखी और इसे जन सेवा का माध्यम बनाया। उन्होंने सदा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कार्य किया, इसके लिए संघर्ष भी किया।अखिल भारतीय संपादक सम्मेलन की शुरूवात भी अपने ही किया तथा बड़ी संख्या में संपादकों को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित भी किया। सन् 1924 से 1946 तक हिन्दुस्थान टाईम्स के चेयरमैन भी रहे। सन 1936 में हिन्दुस्थान टाइम्स का हिंदी संस्करण अर्थात ’हिन्दुस्थान’ अखबार प्रकाशन का श्रेय भी महामना को ही जाता है। मालवीय जी ने वर्ष 1907 में एक हिन्दी साप्ताहिक ’अभ्यूदय’ का भी प्रकाशन शुरू किया। देशभक्त भारतीयों की भावनाओं को संकलित तथा अभिव्यक्त करने के लिए अंग्रजी दैनिक की शुरुआत मालवीय जी के कारण ही संभव हो सका। मालवीय जी के प्रयासों के कारण 24 अक्तूबर 1909 को ’द लीडर’ समाचार पत्र अस्तित्व में आया। एक हिन्दी मासिक पत्रिका ’मर्यादा’ के प्रकाशन में भी मालवीय जी का योगदान उल्लेखनीय है। महान विद्वान पंडित बालकृष्ण भट्ट की हिन्दी मासिक पत्रिका ’प्रदीप’ के लिए तो मालवीय जी नियमित रूप से अपने लेख लिखा करते थे। अक्टूबर 1910 में मालवीय जी ने वाराणसी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता की तथा अध्यक्षीय भाषण दिया। महामना पत्रकारिता को एक कला मानते थे। उन्होंने पत्रकारिता में नवीन विधाओं की शुरूआत की, हिन्दी प्रेस की आधारशिला रखी और इसे जन सेवा का माध्यम बनाया। उन्होंने सदा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कार्य किया, इसके लिए संघर्ष भी किया।अखिल भारतीय संपादक सम्मेलन की शुरूवात भी अपने ही किया तथा बड़ी संख्या में संपादकों को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित भी किया। सन् 1924 से 1946 तक हिन्दुस्थान टाईम्स के चेयरमैन भी रहे। सन 1936 में हिन्दुस्थान टाइम्स का हिंदी संस्करण अर्थात ’हिन्दुस्थान’ अखबार प्रकाशन का श्रेय भी महामना को ही जाता है। मालवीय जी ने वर्ष 1907 में एक हिन्दी साप्ताहिक ’अभ्यूदय’ का भी प्रकाशन शुरू किया। देशभक्त भारतीयों की भावनाओं को संकलित तथा अभिव्यक्त करने के लिए अंग्रजी दैनिक की शुरुआत मालवीय जी के कारण ही संभव हो सका। मालवीय जी के प्रयासों के कारण 24 अक्तूबर 1909 को ’द लीडर’ समाचार पत्र अस्तित्व में आया। एक हिन्दी मासिक पत्रिका ’मर्यादा’ के प्रकाशन में भी मालवीय जी का योगदान उल्लेखनीय है। महान विद्वान पंडित बालकृष्ण भट्ट की हिन्दी मासिक पत्रिका ’प्रदीप’ के लिए तो मालवीय जी नियमित रूप से अपने लेख लिखा करते थे। अक्टूबर 1910 में मालवीय जी ने वाराणसी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता की तथा अध्यक्षीय भाषण दिया।