विचार बिंदु: गणतंत्र दिवस : यह हमारे आत्ममंथन का सही समय

विचार बिंदु: गणतंत्र दिवस : यह हमारे आत्ममंथन का सही समय

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय

गणतंत्र दिवस केवल हमारी प्रगति और उपलब्धियों का उत्सव नहीं, आत्ममंथन का अवसर भी होता है। हमें विचार करना चाहिए कि हमारी प्रगति कितनी समावेशी है? क्या विकास का लाभ देश के हर नागरिक तक पहुंच रहा है या यह कुछ विशेष वर्गों तके सीमित रह गया है? शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच गहराती खाई, बढ़ती आर्थिक असमानता और शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आज भी हमारी तरक्की की राह में बाधा बनकर खड़ी है। हमें यह तय करना होगा कि विकास का प्रकाश समाज के हर कोने तक पहुंचे। भव्य परेड में अत्याधुनिक हथियारों और उपलब्धियों का प्रदर्शन तब तक अधूरा है, जब तक हरेक नागरिक को बुनियादी सुविधाएं और सम्मान का अधिकार नहीं मिलता।

हमारा संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि समानता, न्याय और समावेश के पवित्र आदर्शों का प्रतिबिंब है, लेकिन विडंबना है कि इन आदर्शों को अपने जीवन और समाज में पूरी तरह अपनाया नहीं जा सका है। जाति, धर्म व लिंग के आधार पर होने वाला भेदभाव आज भी हमारे गणतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को चुनौती देता है। सामाजिक न्याय का सच्चा अर्थ तभी साकार होगा, जब सबको समान अवस्र, समान अधिकार और सम्मान मिलेगा।

हमें यह समझना होगा कि अधिकारों का उपयोग करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है कर्तव्यों का निर्वहन। हमें आत्ममंथन करना होगा कि क्या हम पर्यावरण की सुरक्षा, कानून का पालन और समाज की भलाई के प्रति उतने ही समर्पित हैं, जितना अपने अधिकारों के प्रति। गणतंत्र दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारा संविधान हमें जिन महान मूल्यों से सुसज्जित करता है, उनकी सार्थकता तभी होगी, जब हम उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हमारा गणतंत्र ऐसा बने, जिस पर इसका हरेक नागरिक गर्व कर सके। एक ऐसा राष्ट्र, जहां समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा हरेक व्यक्ति को प्राप्त हो।

इस गौरवशाली अवसर पर हमें गहराई से विचार करना चाहिए कि कैसे अपनी अद्भुत विरासत को संरक्षित रखते हुए उसे आधुनिक प्रगति के साथ जोड़ा जा सकता है। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारा विकासे प्रकृति के साथ सामंजस्य मिलाकर हो, ताकि हमारी धरोहर और हमारे प्राकृतिक संसाधन भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहें। आज भारत वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत पहचान बना रहा है। एक नागरिक के तौर पर हमें इस मजबूती को और सुदृढ़ बढ़ाने का संकल्प इस गणतंत्र दिवस पर लेना चाहिए।

आरके जैन 'अरिजीत', टिप्पणीकार✍️