युद्ध विराम...

रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
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युद्ध विराम का स्वागत हर शांति प्रिय व्यक्ति करता है , हम ने भी किया है । भारत-पाक युद्ध रुक गया है फिलहाल ।
यहाँ से कई सवाल भी जन्म ले रहे हैं । एक लंबा समय हो गया चीजों को समझते हुए , सो यह सवाल तो मन में आना लाज़िमी है कि क्या भारत की विदेश नीति अब बाकी देशों की तरह हो गई है? दवाब में आने लगी है ?
भारत का नॉन अलाइन मूवमेंट अब अमेरिकी पक्ष में चला गया है ? इन्दिरा का जज्बा और जलवा जो कायम रहा वह फीका हो गया है ?आज से पहले भारत ने कभी दबाव समूह को तरजीह नहीं दी थी । पाकिस्तान को शांतिप्रिय एशियन कंट्री कहना भी अखरा । तो क्या भारत शांतिप्रिय नहीं है ?
शिमला सम्झौता डस्टबीन में पाकिस्तान फेंकने का ऐलान कर चुका है । तो ये सम्झौता क्या दबाव मे आकर हुआ है ताकि ट्रम्प अपनी यात्रा कर सके । ईनाम तो पाकिस्तान को ही मिला न !
पूरे युद्ध विराम का क्रेडिट भी अमेरिका ले गया । पाकिस्तान को आईएमएफ़ से लोन भी दिलवा दिया । उसे बस एशिया में एक बेस चाहिए जो कि पाकिस्तान है। और उसने उसे कायम रखा है । एफ़-16 से हमले की जगह ईनाम ....चीन की इज्जत भी भी बच गई जो उसके जेएफ़ सीरीज के लड़ाकू विमानों की पस्त हालत से खराब हो रही थी।
बाकी तो यही कहूँगा कि समझौते की शर्तें क्या होंगी , ये तो डीजीएमओ मीटिंग के बाद ही पता चलेगा । क्या मुल्ला मुनीर चुप बैठेगा ? क्या वाकई आतंक कमजोर होगा ? या फिर युद्ध भड़केगा ? पाकिस्तान की हालत तो सेना ने पस्त की ही है , और इस दौरान टीआरपी का नंगा नाच भी मीडिया का पूरे देश ने देखा है और उसकी गैर ज़िम्मेदारी भी।
सवाल तो और भी हैं , पर वह सब तब आपके सामने रखूँगा , जब ख़ुद भी इस गड़बड़झाले को ठीक से समझ सकूँ।
फिलहाल शांति के लिए भारतीय सेना को और उसके शौर्य को सलाम , और सलाम भारत की एकजुटता को और देश के लिए दिखाये बेहतरीन नागरिक जज्बे को ।
साभार
केदार नाथ शब्द मसीहा✍️