युवा शक्ति में अंतर्निहित देश की ऊर्जा का हो बेहतर व संतुलित उपयोग - समाजसेवी सूरज गुप्ता

युवा शक्ति में अंतर्निहित देश की ऊर्जा का हो बेहतर व संतुलित उपयोग - समाजसेवी सूरज गुप्ता

रिपोर्ट- प्रेम शंकर पाण्डेय ✍️ •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••

•युवा दिवस विशेष•

आज हमारा देश भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश है और इसी युवा शक्ति में भारत की ऊर्जा अंतर्निहित है। युवा शक्ति का बेहतर प्रयोग हमारे राजनीतिक नेतृत्व की राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों की समझ पर निर्भर करता है और साथ ही, युवा पीढ़ी अपनी ऊर्जा के सपनों को किस तरह सकारात्मक रूप में ढालती है यह भी बेहद महत्वपूर्ण है। युवा शक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का संतुलित उपयोग करने से देश की विकास की गति को रफ्तार मिलेगी। इस देश के शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि हमारे देश के युवा नेताओं की रैलियों में झंडा उठाकर नारे लगाएंगे, सोशल मीडिया पर उनका राजनीतिक प्रचार-प्रसार करेंगे, बेहतर शिक्षा व रोजगार के लिए सड़क पर आन्दोलन करेंगे या पढ़-लिखकर, मेहनत कर इस देश के कर्णधार बनेंगे। इस देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है युवाओं के बेरोजगारी की क्योंकि इस देश के समस्त बेरोजगारों में से लगभग आठ करोड़ से अधिक युवा शिक्षित बेरोजगार हैं और प्रत्येक वर्ष लगभग पचास लाख युवा इस बेरोजगारी की कतार को और लंबी करते जा रहे हैं। यदि इसी तरह शिक्षित युवा बेरोजगार होते गये तो देश के सामने एक अत्याधिक विकराल समस्या उत्पन्न हो जायेगी जिससे हमारे युवा देश की सशक्त ऊर्जा न बनकर एक बोझ के रूप में इस देश की कमजोरी बन जायेंगे। हमारे देश के युवा अपने गांव-घरों से दूर देश के विभिन्न जगहों पर अपना भविष्य संवारने के लिए जाते हैं, हर रोज अपने हिस्से की बखूबी मेहनत करते हैं क्योंकि युवा भी चाहते हैं कि वो अपने देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। इस देश के शीर्ष नेतृत्व को युवाओं के इन चाहत और सपने को समझना होगा कि इस देश को विश्व गुरु बनाने का जो सपना है इन शिक्षित युवाओं से होकर जाता है। युवाओं के सपनों को साकार करने मदद करनी होगी, इस देश की ऊर्जा को एक नई दिशा देनी होगी। इस देश का दुर्भाग्य है कि इस युवाशक्ति को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। इन युवाओं को राष्ट्रवाद का सपना दिखाकर राजनीतिक लाभ लिया जाता परन्तु उन्हें बेहतर शिक्षा और रोजगार के माध्यम से सशक्त भारत के निर्माण में राष्ट्रवादी बनने का मौका नहीं मिलता है। इस देश के युवाओं को चुनावी रैलियों के मंच के माध्यम से झूठे वादे मिलते हैं, अपने हक के लिए आवाज उठाते हैं तो सत्ता के इशारों पर लाठियां खाने को मिलती हैं, हमारी सुरक्षा में उठने वाली लाठी हमारी आवाज दबाने का काम करतीं हैं, युवा पीढ़ी सशक्त भारत के निर्माण के रूप में नहीं बल्कि सड़कों पर विवश अपने हक के लिए आन्दोलन करते हुए पिटती दिखती है। अब देखना यह है कि विवेकानंद के इस देश में युवाओं का राजनैतिक लाभ लेने वालें हमारे देश के शीर्ष नेतृत्व अपनी इस युवा पूंजी का भविष्य के लिए निवेश किस रूप में करता है। हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व देश के युवा बेरोजगारों की भीड़ को एक बोझ मानकर भारत की कमजोरी के रूप में निरूपित करता है या उसे एक कुशल मानव संसाधन के रूप में विकसित करके एक स्वाभिमानी, सुखी, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनाता है। ---- सूरज प्रसाद गुप्ता ग्राम, पोस्ट- पाली,कासिमाबाद गाजीपुर (उप्र.)