महिला 5-5 रुपये पर दिहाड़ी मजदूरी की, आज अमेरिका में अरबों की कंपनी

 महिला 5-5 रुपये पर दिहाड़ी मजदूरी की, आज अमेरिका में अरबों की कंपनी

सफलता की कहानी  /  व्यवसाय

पिता के पास पैसे नहीं थे तो अनाथालय भेज दिया

************************************

 सफलता की यह कहानी ऐसी महिला की है, जिसने बचपन से युवा होने तक सिर्फ गरीबी, अभाव और समाज के ताने ही सुने. लेकिन, अपने दम पर कुछ ऐसा कर दिखाया कि उनका नाम पूरी दुनिया में सम्‍मान से लिया जाता है. आज वह 100 से ज्‍यादा लोगों का परिवार चलाती हैं और करोड़ों की मालकिन हैं.

*************************************

रिपोर्ट - प्रमोद कुमार तिवारी

*नई दिल्‍ली*। कुछ करने का जज्‍बा हो तो संघर्ष और चुनौतियां सिर्फ पड़ाव नजर आते हैं. हौसला वालों को मुश्किल रास्‍ते भी खुद मंजिलों तक ले जाते हैं. सफलता की ये कहानी भी ऐसे ही एक जज्‍बे की है, जिसका बचपन और युवावस्‍था नितांत गरीबी व अभाव में बीता. लेकिन, कुछ करने का जज्‍बा हमेशा जिगर में था. कभी 5-5 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी करने वाली यह महिला आज अमेरिका में अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी चलाती है, जो अब अरबों डॉलर की बन चुकी है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं ज्‍योति रेड्डी की. तेलंगाना के वारंगल में जन्‍मीं ज्‍योति के पिता बेहद गरीब थे और पैसे के अभाव में उन्‍होंने 5 बच्‍चों में दूसरे नंबर पर आने वाली ज्‍योति को 8 साल की उम्र में अनाथालय में छोड़ दिया. यहां ज्‍योति को भरपेट खाना मिला और सरकारी स्‍कूल में पढ़ने का अवसर.

ज्‍योति ने अभी समझदारी की दहलीज पर कदम भी नहीं रखा था कि 16 साल की उम्र में उनकी शादी एक किसान से कर दी गई. 18 साल तक आते-आते ज्‍योति 2 बच्चियों की मां भी बन गई. परिवार का पेट पालने के लिए उन्‍होंने 5 रुपये दिहाड़ी पर खेतों में काम करना शुरू कर दिया. साल 1985 से 1990 तक यही सिलसिला चला. फिर एक सरकार योजना के तहत उन्‍हें पढ़ाने का काम मिला और रात में कपड़ों की सिलाई कर कुछ पैसे कमाने लगीं.

तानों को सहकर भी पूरी की पढ़ाई

ज्‍योति ने तमाम मुश्किलों और परिवार व समाज के तानों को सहकर भी अपनी पढ़ाई का जज्‍बा नहीं छोड़ा. उन्‍होंने साल 1994 में डॉ भीम राव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री ली, फिर काकतिया यूनिवर्सिटी से साल 1997 में पीजी किया. इतनी पढ़ाई के बाद भी ज्‍योति की कमाई 398 रुपये महीने तक ही पहुंच सकी.

रिश्‍तेदार ने बदल दी किस्‍मत

ज्‍योति की जिंदगी में प्रकाश तब आया जब अमेरिका से आए उनके एक रिश्‍तेदार ने विदेश जाकर काम करने का हौसला दिया. इसके बाद ज्‍योति ने कंप्‍यूटर कोर्स किया और परिवार को छोड़ अमेरिका जा पहुंचीं. अमेरिका पहुंचकर भी ज्‍योति की मुश्किलें कम नहीं हुई. उन्‍हें पेट पालने के लिए पेट्रोल पंप से लेकर बेबी सिटिंग तक का काम करना पड़ा. धीरे-धीरे उन्‍होंने कुछ पैसे जुटाए और खुद का काम करने की सोची.

2001 में बनाई सॉफ्टवेयर कंपनी

ज्‍योति ने 40 हजार डॉलर की पूंजी एकत्र की थी, जिसकी मदद से उन्‍होंने साल 2001 में अमेरिका के एरिजोना स्थित फीनिक्‍स में की सॉफ्टवेयर सॉल्‍यूशंस नाम से कंपनी बनाई. उनकी मेहनत रंग लाई और पहले साल 1.68 लाख डॉलर का मुनाफा हुआ. 3 साल के भीतर कंपनी का मुनाफा बढ़कर 1 मिलियन यानी 10 लाख डॉलर पहुंच गया. 2021 में कंपनी का राजस्‍व 2.39 करोड़ डॉलर यानी करीब 200 करोड़ रुपये पहुंच गया. आज ज्‍योति की कंपनी 1 अरब डॉलर यानी 8,300 करोड़ रुपये के मार्केट कैप को भी पार कर चुकी है. उनकी कंपनी में आज 100 से ज्‍यादा लोग काम करते हैं. ज्‍योति के पास आज अमेरिका में 4 मकान और हैदराबाद में एक मेंशन है. मर्सिडीज कार और सैकड़ों कपड़ों का कलेक्‍शन भी रखती हैं.