इबादत,फ़जीलत,रहमत और मगफिरत की रात है शब - ए - बारात

दीन - ए- इस्लाम के 8 वें महीने शाबान की 14 वीं और 15 वीं तारीख के बीच की रात को मनाया जाता है यह अहम त्योहार
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रिपोर्ट - सत्य प्रकाश गुप्त
सिपाह इब्राहिमाबाद ..मऊ (उप्र)
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कासिमाबाद (गाजीपुर)।
मुस्लिम मतावलंबियों के अहम त्योहारों में से एक ' शब- ए- बारात आज क्षेत्र के बहादुरगंज नगर पंचायत, रसूलपुर, मुहम्मदपुर टंडवा,पाली,अवराकोल, दुर्गा स्थान, सिधागरघाट,सोनबरसा आदि गाँवों में अकीदत व पाकीजगी के माहौल में मनाए जाने की खबर है। साथ ही अकीदतमंदों की जानिब क्षेत्र स्थित विभिन्न मजारों की साज - सज्जा कर रात में भरपूर रोशनी के इंतज़ाम किए गए ।
दीन - ए- इस्लाम के 8 वें महीने ( शाबान) की 14 वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को मनाये जाने वाले इस त्योहार पर मुस्लिम मतावलंबी पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं | ऐसी मान्यता है कि इस रात अल्लाह अपने बंदों से हिसाब लेते हैं और उसके मुताबिक उनकी तकदीर मुकर्रर होती है । इसी लिए इसे शब - ए - बारात अर्थात बरी होने की रात कहा जाता है । इस्लामिक मान्यतानुसार जो लोग गुनाह करके दोज़ख में जीते हैं उन्हें इस रात उनके गुनाहों के लिए माफी़ मिल जाती है और उनके लिए जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं । इस पाकीजा मौके पर लोग कब्रिस्तानों में जाकर अपने प्रिय दिवंगत जन के लिए दुआऍं माॅंगते हैं तो कुछ लोग रोजे भी रखते हैं । वाकई मे शब - ए - बारात इबादत ( बंदगी) रहमत ( दया) फजीलत ( श्रेष्ठता) और मगफिरत ( माफी) की रात है |