इबादत,फ़जीलत,रहमत और मगफिरत की रात है शब - ए - बारात

इबादत,फ़जीलत,रहमत और मगफिरत की रात है शब - ए - बारात

 दीन - ए- इस्लाम के 8 वें महीने शाबान की 14 वीं और 15 वीं तारीख के बीच की रात को मनाया जाता है यह अहम त्योहार

***********************************

 रिपोर्ट - सत्य प्रकाश गुप्त 

 सिपाह इब्राहिमाबाद ..मऊ (उप्र)

***********************************

कासिमाबाद (गाजीपुर)

मुस्लिम मतावलंबियों के अहम त्योहारों में से एक  ' शब- ए- बारात आज क्षेत्र के बहादुरगंज नगर पंचायत, रसूलपुर, मुहम्मदपुर टंडवा,पाली,अवराकोल, दुर्गा स्थान, सिधागरघाट,सोनबरसा  आदि गाँवों में अकीदत व पाकीजगी के माहौल में मनाए जाने की खबर है।  साथ ही  अकीदतमंदों की जानिब क्षेत्र स्थित  विभिन्न मजारों की साज - सज्जा कर रात में भरपूर रोशनी के इंतज़ाम किए गए । 

 दीन - ए- इस्लाम के 8  वें महीने ( शाबान) की 14 वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को मनाये जाने वाले इस त्योहार पर मुस्लिम मतावलंबी पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं | ऐसी मान्यता है कि इस रात अल्लाह अपने बंदों से हिसाब लेते हैं और उसके मुताबिक उनकी तकदीर मुकर्रर होती है । इसी लिए इसे शब - ए - बारात अर्थात बरी होने की रात कहा जाता है । इस्लामिक मान्यतानुसार   जो लोग गुनाह करके दोज़ख में जीते हैं उन्हें इस रात उनके गुनाहों के लिए माफी़ मिल जाती है और उनके लिए जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं । इस पाकीजा मौके पर लोग कब्रिस्तानों में जाकर अपने प्रिय दिवंगत जन के लिए दुआऍं माॅंगते हैं तो कुछ लोग रोजे भी रखते हैं । वाकई मे शब - ए - बारात इबादत ( बंदगी) रहमत ( दया) फजीलत ( श्रेष्ठता) और मगफिरत ( माफी) की रात है |