परिचय: कठिन संघर्ष व निरंतर सेवाभाव के चलते ऊंची शख्सियत, नामचीन हस्ती ,अधिवक्ता हरिद्वार राय परिचय के मोहताज नहीं

परिचय: कठिन संघर्ष व निरंतर सेवाभाव के चलते ऊंची शख्सियत, नामचीन  हस्ती ,अधिवक्ता हरिद्वार राय परिचय के मोहताज नहीं

रिपोर्ट- फतेहबहादुर गुप्त वरिष्ठ संवाददाता ✍️

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मऊ। औद्योगिक, बुनकर नगरी व दिवंगत नेता विकास पुरुष स्व.कल्पनाथ की धरती जनपद मऊ निवासी ऊंची शख्सियत ,नामचीन हस्ती ,विद्वान अधिवक्ता वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी हरिद्वार राय किसी परिचय के मोहताज नहीं है ,बल्कि कठिन संघर्ष और निरंतर सेवा से अपने पद और कद को सुदृढ़ किया है। अध्ययन काल से ही उन्होंने लब्ध प्रतिष्ठित अधिवक्ता बनने का लक्ष्य निर्धारित किया, और इस दिशा में उन्होंने लगातार अध्ययन जारी रखा। जिसके चलते उन्हें सफलता दर सफलता मिलती गई ।लेखनी के शौकीन होने के नाते अधिवक्ता के साथ साथ उन्होंने पत्रकारिता में भी दखल रखा। जिसके चलते उन्हें मान्यता प्राप्त की श्रेणी में पत्रकार होने का गौरव प्राप्त हुआ। और साथ-साथ शासकीय अधिवक्ता भी बने। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार राय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से संबंध हैं, उनके दादा परमानंद राय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे। जिन्हें अंग्रेजों के शासन में छह माह की कारावास तथा 36 बेंत की सजा सुनाई गई थी । जिन्हें इंदिरा गांधी के शासनकाल में ताम्रपत्र देकर के सम्मानित किया गया था।ऐसे परिवार से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता हरिद्वार राय का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को स्वर्गीय रूद्र दत्त राय के घर में हुआ था। उनका जन्म सामान्य किसान परिवार में हुआ था ,परंतु शिक्षण कार्य इस परिवार के रग-रग में बसा हुआ है। यद्यपि श्री राय का परिवार मऊ जनपद मुख्यालय स्थित डोमनपुरा के मूल रूप से निवासी हैं। उनके बाबा का एक परिवार दोहरीघाट प्रखंड अंतर्गत जमीरा चौराडीह में भी जाकर बस गए। और परिवार के सदस्य वहां रहते हैं ,और आज भी वहां खेती बारी होती है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिद्वार राय की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा डोमनपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय, म्युनिसिपल जूनियर हाई स्कूल मुगलपुरा, हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा नगर के डीएवी इंटर कॉलेज से तथा ग्रेजुएशन उन्होंने दुर्गादत्त चुन्नीलाल सागरमल खंडेलवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय मऊ से किया। क्योंकि उनका लक्ष्य विधिवेत्ता बनना था, लिहाजा उन्होंने लक्षित कानून की पढ़ाई के लिए प्रयाग का रुख अपनाया, और यहीं पर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की। विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1983 में बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश में अपना विधिवत पंजीकरण कराया, और 1985 में प्रोफेशनल अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं देनी शुरू की। उन्होंने आजमगढ़ सिविल कोर्ट मे फौजदारी के जाने-माने अधिवक्ता कृष्ण मुरारी राय के निर्देशन में अपना कार्य प्रारंभ किया। फिर जैसे ही मऊ जनपद की स्थापना हुई तो 9 फरवरी 1990 में आजमगढ़ से आकर मऊ न्यायालय में अपनी वकालत शुरु कर दी। चुकी उनका अखबारी लेखन से गहरा जुड़ाव था ,तो वर्ष 1990 में जनसत्ता से जुड़े। शान ए सहारा लखनऊ, दैनिक जागरण गोरखपुर और वाराणसी संस्करण में भी अपनी लेखनी से पाठकों को लाभ पहुंचाया। इसके बाद वे वरिष्ठ पत्रकार भूल्लन सिंह के सहयोग से जनवार्ता और पीटीआई से भी जुड़े। हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ धीरेंद्र श्रीवास्तव के साथ वे दैनिक हिंदुस्तान से भी जुड़कर कार्य किया। तथा बाद में वर्ष 2012 में जनसंदेश हिंदी दैनिक के ब्यूरो प्रभारी बनाए गए ।और 2012 में उन्हें इसी अखबार से मान्यता भी प्राप्त हो गई ।इसके पूर्व में काशीवार्ता से भी उन्हें मान्यता मिली थी। ग्रेजुएशन के दौरान छात्र राजनीति में भी उनकी गहरी दिलचस्पी थी।जिसके चलते वर्ष 1978 में वह दुर्गादत्त चुन्नीलाल सागरमल खंडेलवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र संघ के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विनोद पांडेय को 64 मतों से पराजित किया था। इसी वर्ष समाजवादी पार्टी में लोकबंधु राजनारायण के संपर्क में आए। राजनीतिक गतिविधियों में शुमार होने के चलते समाजवादी चिंतक जनेश्वर मिश्र के संपर्क में आए ,और उन्हें इस संपर्कों का व्यापक लाभ मिला ,और वे वर्ष 1978 में युवा जनता के जिला मंत्री चुने गए। छात्र राजनीति से राजनीतिक पाली का प्रारंभ होने से वह इसमें अपनी व्यापक भागीदारी देते थे। समाजवादी पार्टी के वे 10 वर्षों तक जिला महासचिव पद पर रह कर पार्टी संगठन को काफी मजबूती प्रदान किया। छात्र राजनीति की गतिविधियां तीव्रतम होने के नाते छात्र राजनीति की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला सहसंयोजक बनाए गए। यही वजह रही कि प्रोफेशनल वकालत में अपनी कानूनी विधा का जमकर उपयोग किया। और वर्ष 1993 में वे बार एसोसिएशन में मंत्री निर्वाचित हुए। पुनः वर्ष 2003 में भी वे मंत्री बने ,और वर्ष 2005 तक इस पद पर बने रहे। यही नहीं अधिवक्ता एकता के लिए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया। ताकि बार में किसी किस्म का मतभेद ना रहे, और अधिवक्ताओं की मर्यादा बनी रहे। यही वजह थी कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर के बार को मजबूती प्रदान की ।जिसका अधिवक्ताओं ने उनके इस निर्णय का जबरदस्त रूप से स्वागत किया। पुनः 2012 में भी सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री चुने गए। हरिद्वार राय वरिष्ठ अधिवक्ता, वरिष्ठ पत्रकार तथा वरिष्ठ राजनीतिक के रूप में अपनी विधा को मजबूती प्रदान करते हुए सभी विधाओं में अपने प्रतिभा का बेहतर ढंग से प्रदर्शन किया ,और समय समय से सभी विधाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बेहतर नेतृत्व प्रदान किया। कानून के मर्मज्ञ अधिवक्ता हरिद्वार राय का मानना है कि एक पेशेवर वकील को अपने पेशे में तब बेहतर संतुष्टि मिलती है ,जब वह अपनी कानूनी सहायता को समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए आगे आता है। यही वजह है कि वह कमजोर तबके को कानूनी सहायता प्रदान करते हुए उसे न्याय दिलाने का पुरजोर प्रयास करते हैं ,कोई वादकारी उनके यहां से कभी निराश नहीं लौटा। उन्होंने अपनी क्षमता के हिसाब से पीड़ित को भरपूर न्याय दिलाने की कोशिश करते हैं। जिसमें उन्हें संतुष्टि मिलती है। वर्ष 2016 में उनका चयन जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के पद पर हुआ। जिसमें उन्होंने 1 साल तक इस पद पर आकर शासकीय सेवा प्रदान की। यही नहीं प्रदेश समाजवादी अधिवक्ता सभा के वे सचिव तथा अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय सचिव के पद पर 5 वर्षों तक विराजमान रहे। राष्ट्रीय स्तर पर अधिवक्ताओं को संगठित करने का यह सौभाग्य राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र भाटिया तथा उनके पुत्र गौरव भाटिया के संयोजन में संभव हो सका।वर्तमान में गौरव भाटिया भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहने के नाते वर्ष 1980 में उन्हें लोकदल से टिकट मिला, परंतु राजनीतिक पुरोधा खैरुल बशर के आने से उनका टिकट कट गया । विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हरिद्वार का है आरक्षण के समर्थन में सपा मुखिया मुलायम सिंह के नेतृत्व में लखनऊ स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में गिरफ्तारी दी। तब तक वे राजनीतिक रूप से चर्चा में आ गए थे। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के शासन में इलाहाबाद के एक जनसभा में आई स्वर्गीय इंदिरा गांधी को काला झंडा दिखाते समय हरिद्वार राय गिरफ्तार कर लिए गए। यह छात्र राजनीति का चरमोत्कर्ष था, जहां से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का श्रीगणेश किया था।वर्ष 1987 में सांसद रामविलास पासवान के अनुशंसा पर उन्हें जेड आर यू सी सी का रेल परामर्श दात्री समिति तथा टेलीफोन परामर्श दात्री समिति का सदस्य बनाया गया। जिसका उन्होंने बखूबी निर्वहन किया। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिद्वार राय के पिता स्वर्गीय रूद्र दत्त राय आजमगढ़ मंडल पोस्ट ऑफिस में असिस्टेंट पोस्ट मास्टर थे ,और वही से सेवानिवृत्त हो गए। उनकी माता जी कुशल ग्रहणी थी। ताऊ श्री भगवती राय शर्मा विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे ,इसके पूर्व वे जीवन राम इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके चाचा डॉ जय देव राय चिकित्सा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर अपनी सेवाएं देने वाले हरिद्वार राय को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार ने वर्ष 1989 में जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। जिसका वे कुशलता पूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। हरिद्वार राय के विधिक कौशल का लाभ लेते हुए उनके जूनियर अधिवक्ता विमल राय अवधेश चौहान ,श्रीमती लालमुनी देवी, नागेंद्र राय अपने वादकारियो का पक्ष न्यायिक अधिकारियों के इजलास में रखते हैं। तथा उन्हें भरपूर न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं। पारिवारिक संस्कारों से ओतप्रोत श्री राय का यह परिवार आपसी मेलजोल सौहार्द पूर्ण वातावरण की विशाल है मिसाल हैं हालांकि उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय अनिता राय बीच में ही साथ छोड़ कर चल बसी जिनकी यादें उन्हें सालती रहती हैं उनके दो पुत्र उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत अलग-अलग विधाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनके बड़े पुत्र श्रवण कुमार राय यांत्रिकी मे स्नातक (बीटेक)हैं, और वे स्वयं की कंपनी खोलकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनकी कंपनी केडीएस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है। जिसके वे स्वयं डायरेक्टर हैं ।उनके दूसरे पुत्र पवन कुमार राय खाद्य विभाग मऊ में जिला समन्वयक के पद पर पदारूढ़ है। दोनों पुत्र प्रतिभा संपन्न है और अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का उपयोग कर रहे हैं ।जिसकी वजह से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिद्वार राय अपने पुत्रों की प्रतिभा कौशल से काफी गदगद रहते हैं।