हनुमान ने लंका में लगाई आग, सीता खोज व लंका दहन की लीला देख दर्शक हुए भावुक
रिपोर्ट - प्रेम शंकर पाण्डेय
कासिमाबाद (गाजीपुर)। निकटवर्ती गांव पाली में श्री सियाराम स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित श्रीरामलीला के क्रम में सीता खोज एवं लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। इस अद्भुत दृश्य का आनंद लेकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। सीता खोज की भावुकता और लंका दहन का अद्भुत दृश्य देखकर पूरा वातावरण जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। रामलीला का शुभारंभ हनुमानजी के समुद्र लांघकर लंका पहुंचने के दृश्य से हुआ। घूमते-घूमते वह अशोक वाटिका पहुंचे, जहां माता सीता से उनका मिलन हुआ। प्रभु श्रीराम की दी हुई मुद्रिका माता सीता के समक्ष रखकर उन्होंने अपना परिचय दिया। माता पाण्डेय पाण्डेय सीता से आज्ञा लेकर हनुमान फल खाने हेतु वाटिका में गए, जहां पहरेदारों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, परंतु कोई सफल न हो सका। सूचना मिलने पर रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को सेना सहित भेजा, लेकिन युद्ध में हनुमानजी ने उसे मार गिराया और पूरी सेना को परास्त कर दिया। इसके बाद रावण ने क्रोध में मेघनाथ को आदेश दिया कि हनुमान को पकड़कर उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाए।

मेघनाथ और हनुमानजी के बीच संवाद का मंचन देख दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। अंततः मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र से हनुमानजी को बांधकर रावण के दरबार में पहुंचाया। वहां हनुमान की उद्दंडता देख राक्षसों ने उनकी पूंछ में आग लगाने का सुझाव दिया। पूंछ में आग लगते ही हनुमानजी ने लघु रूप धारण कर संपूर्ण लंका में कूद-कूदकर महलों व घरों में आग लगा दी।

चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। इस अद्भुत दृश्य के साथ ही पूरा रामलीला मैदान 'जय श्रीराम' के जयघोष से गूंज उठा। हनुमान जी का पात्र द्गिग्विजय राय "दद्दू" ने जबकि रावण का अभिनय मनीष माधव राय "राजू" ने बखूबी निभाया।
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