नेतृत्व के समस्त गुणों से विभूषित था नेता जी सुभाष चंद्र बोस का जीवन- मनोज सिंह

रिपोर्ट- प्रेम शंकर पाण्डेय
विचार बिंदु
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के 128 वी जन्म जयंती पर विशेष
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लगभग समकक्ष समतुल्य,सदृश्य और समानांतर आभामंडल रखने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अत्यंत मेधावी,कुशाग्र बुद्धि ,विलक्षण प्रतिभाशाली करिश्माई व्यक्तित्व वाले राजनेता और भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उत्कट ,उत्साही अमर सेनानी थे। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम के बिरले ऐसे राजनीतिक व्यक्तित्वो में थे जो एक साथ करिश्माई राजनेता के साथ- साथ सिकंदर महान,चन्द्रगुप्त मौर्य,समुद्र गुप्त,नेपोलियन बोनापार्ट और महाराजा रणजीत सिंह जैसे विश्व विख्यात सेनापतियों की परम्परा के महान सेनापति भी थे । वस्तुतः एक कुशल कुशाग्र और होनहार राजनेता वह होता हैं जो देश की राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक और अन्य विविध समस्याओं पर बेहतर समझदारी और सूझ बूझ रखता है और उन विवध समस्याओं का बेहतर समाधान करने की क्षमता दक्षता और सामर्थ्य रखता है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम के गिने चुने राजनीतिक व्यक्तित्वो में थे जो देश की राजनीतिक सामाजिक आर्थिक और अन्य समस्याओं के साथ साथ वैश्विक राजनीति की स्पष्ट और बेहतरीन समझदारी रखते थे। किसी कुरूक्षेत्र का कुशल सेनापति वह होता हैं जो अपनी सांगठनिक क्षमता सामरिक दक्षता अद्भुत रणकौशल से निर्भिक निडर और लडाकू सेना तैयार करता और उस सेना के अन्दर बडी से बडी सेना से लडने का जोश-खरोस और आवश्यक हौसला आखिरी क्षण तक बनाए रखता है।आजाद हिन्द फौज का सेना के रूप में संगठन और निर्माण तथा उस दौर की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सशस्त्र साम्राज्यवादी ब्रट्रिश सेना के विरुद्ध आजाद हिन्द फौज का जूझारू संघर्ष नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को दुनिया के महानतम सेनापतियों में प्रतिष्ठापित करता है। इस दृष्टि से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस बेहतरीन वैश्विक राजनीतिक समझदारी रखने वाले प्रतिभाशाली राजनेता के साथ-साथ कुशल योद्धा और महान सेनापति थे।
भारतीय आध्यात्मिक चिंतन परम्परा और सांस्कृतिक चेतना के वैश्विक ध्वजवाहक स्वामी विवेकानंद के विचारों से गहरे रूप से अनुप्राणित सुभाष चन्द्र बोस जितने विलक्षण प्रतिभाशाली मेधावी और कुशाग्र थे उतने उत्कट, उत्कृष्ट,उत्साही त्यागी तपस्वी और बलिदानी थे। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित हो कर ही सुभाष चन्द्र बोस ने यह स्पष्ट समझदारी विकसित किया था कि - दीन-दुःखियो की निःस्वार्थ सेवा सुश्रुसा करना ही ईश्वर की सच्ची आराधना अर्चना पूजा प्रार्थना और बन्दना हैं।स्वामी विवेकानंद की सेवा धर्मी प्रेरणा का ही परिणाम था कि- जब बंगाल में महामारी फैली तो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अपने स्वास्थ्य और जीवन परवाह किए बगैर रोगियों की सेवा में प्राण-पण से जुट गये। स्वामी विवेकानंद के विचारों को पूरी तरह से हृदयंगम करते हुए सुभाष चन्द्र बोस ने यह भी स्पष्ट समझदारी विकसित किया था कि-व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन से समाज का जीवन व राष्ट्र का जीवन बडा होता हैं इसलिए समाज राष्ट्र और महान मानवीय मूल्यों के लिए अपना सर्वस्व और सर्वोच्च न्योछावर कर देना ही मानव जीवन का चरम ध्येय और सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए। इसलिए स्वाधीनता के लिए अपनी मातृभूमि की तडप और कराह सुनकर उस समय लंदन में आयोजित होने वाली सिविल सेवा की परीक्षा में चतुर्थ स्थान प्राप्त करने के बावजूद सुभाष चन्द्र बोस ने दौलत शोहरत रूतबा रसूख ऐश्वर्य और वैभव से परिपूर्ण नौकरशाही के सर्वाधिक प्रतिष्ठित पद को ठोकर मार दिया और स्वाधीनता संग्राम में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित और समाहित कर दिया। उस दौर में जो स्वर्गजात सिविल सर्विस का पद और प्रतिष्ठा लाखों करोड़ों नौजवानो का सपना हुआ करती थी उस पद और प्रतिष्ठा को एक झटके में ठोकर मार देना अपनी मातृभूमि के लिए उनकी त्याग तपस्या और बलिदान की महान भारतीय परम्परा और परिपाटी के सच्चे अनुयायी और अनुसरणकर्ता का परिचायक है और इस महान परम्परा और परिपाटी का आजीवन निर्वहन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने किया।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस न केवल युद्ध भूमि के कुशल रणनीतिकार और रणयोद्धा थे बल्कि महान भारतीय अभियंता विश्वेश्वरैया (planned economy for India के लेखक) की परम्परा के स्वाधीन भारत के पुनर्निर्माण और विकास के अद्वितीय अग्रसोची स्वप्नदृष्टा थे। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जब हरिपुरा में लगातार दूसरी बार कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए तो उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक नियोजन समिति का गठन किया था । इस नियोजन समिति ने स्वाधीन भारत के पुनर्निर्माण और विकास के लिए योजना आयोग जैसी संस्था की परिकल्पना किया था। इस योजना आयोग के कुशल मार्गदर्शन में स्वाधीन भारत ने अपने पुनर्निर्माण और समग्र,सर्वसमावेशी तथा संतुलित विकास की यात्रा आरम्भ की। यह सर्वविदित है कि- योजना आयोग ने लगभग एक दर्जन अपनी शानदार महत्वाकांक्षी योजनाओ के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत के निर्मम निर्लज्ज लूट-खसोट से पूरी तरह जर्जर हो चुके भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाया बल्कि भारत को वैश्विक रंगमंच पर एक शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित कराया। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सुप्रसिद्ध नारे जय हिंद के जयकारे के साथ भारत की स्वतंत्रता का उद्घोष किया और प्रथम प्रधानमंत्री ने नेताजी के विचारों का सम्मान करते हुए शासन संचालन किया।
मूलतः बंगाली पृष्ठभूमि के महान राजनेता,महान स्वतंत्रता सेनानी महान सेनापति और भारत में योजना आयोग के जन्मदाता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को उनके जन्मदिन पूरा देश पूरी श्रद्धा से स्मरण कर रहा है।
मनोज कुमार सिंह✍️
लेखक/साहित्यकार/उप-सम्पादक कर्मश्री मासिक पत्रिका
घोसी (मऊ)